पिछले कुछ दिनों तक संसद में फोन-टैपिंग का इश्यू गरमाया हुआ था। सरकार पर विपक्षी दलों के फोन टैप करने का आरोप था। मामले में जबर्दस्त किचकिच हुई और संसद के दोनों सदनों को कई बार स्थगित करना पड़ा। सरकार ने आरोपों को खारिज करते हुए जांच से इंकार कर दिया।
आइए जानते हैं कि क्या है फोन-टैपिंग, इससे जुड़े नियम और कानून..
किसी के फोन, मोबाइल पर होने वाली बातचीत को सीक्रेट ढंग से रिकॉर्ड करना फोन-टैपिंग कहलाती है। इसमें कोई तीसरा व्यक्ति दो लोगों के बीच हो रही बातचीत को रिकॉर्ड करता है या सुनता है। किसी भी व्यक्ति का फोन टैप करना एक क्राइम है, जब तक की फोन टैप कर रहे डिपार्टमेंट को इसकी परमीशन न मिल गई हो। बतौर उदाहरण अगर किसी पर शक है कि वह आतंकी गतिविधि में शामिल है तो जांच कर रहा विभाग गृह मंत्रालय से आदेश लेकर उस व्यक्ति का फोन टैप करा सकता है।
ऐसे मिलती है परमीशन
मान लीजिए कोई विभाग किसी मामले में जांच कर रहा है। उसे लगता है संदिग्ध व्यक्ति का फोन टैप करके जरूरी जानकारी हासिल की जा सकती है। इसके लिए उसे एक प्रपोजल तैयार करना पड़ता है। इसमें यह बताना पड़ता है कि वह किन कारणों से किसी व्यक्ति का फोन टैप करना चाहता है और इसमें कैसे उसे जांच में मदद मिलेगी। इस प्रपोजल को वह विचार के लिए गृह विभाग को भेज देता है। गृह विभाग इस पर विचार करता है और अगर उसे ठीक लगता है तो वह टैपिंग की परमीशन दे देता है। यदि उसे उचित नहीं लगता तो वह मना कर देता है। अगर जांचकर्ता को टैपिंग की परमीशन मिल जाती है तो वह जिस भी नेटवर्क का सिम यह कनेक्शन होता है उस नेटवर्क प्रोवाइडर कंपनी के पास जाकर परमीशन मिलने की जानकारी देकर फोन टैपिंग करते हैं।
समीक्षा भी
इसके अलावा गृह विभाग के सेक्रेट्री की परमीशन के बाद उसके निर्णय की समीक्षा के लिए भी कमेटी बनाई गई है। इस कमेटी में सेंट्रल के लिए समीक्षा के लिए कमेटी में एक कैबिनेट सेक्रेट्री, लॉ सेक्रेट्री और टेलीकम्यूनिकेशन सेक्रेट्री होगा। स्टेट लेवल कमेटी में चीफ सेक्रेट्री, लॉ सेक्रेट्री और सेक्रेट्री लेवल का एक व्यक्ति होगा। इन तीनों का काम टैपिंग पर दिए गए निर्णय की समीक्षा करना है।
फोन टैपिंग के मामले में यह भी रूल है कि किसी भी व्यक्ति का फोन एक बार परमीशन मिलने के बाद दो महीने तक टैप किया जाएगा। इसके बाद टाइम पीरियड बढ़ाने के लिए फिर से परमीशन लेनी होगी। किसी भी व्यक्ति का फोन अधिकतम 6 महीने ही टैप किया जा सकता है।
अगर शिकायत हो तो
बिना परमीशन फोन टैपिंग करना किसी व्यक्ति के मानवाधिकार का हनन करना है। इसके खिलाफ ह्यूमन राइट्स कमीशन में शिकायत हो सकती है। फोन-टैपिंग साबित होने पर इसके खिलाफ निकट के थाने में एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है। व्यक्ति फोन टैपिंग के मामले में कंपनी के खिलाफ या फोन टैपिंग करने वाले के खिलाफ कोर्ट में केस हो सकता है। इससे यदि कोई क्षति हुई है तो कंपनी के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
जारी हुई है गाइडलाइन
टेलीफोन टैपिंग के लिए 1885 में बने टेलिग्राफिक एक्ट के नियम बहुत लचीले थे। इसके मद्देनजर दिसंबर 1996 में पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी नामक संस्था ने गवर्नमेंट के खिलाफ केस किया था, जिसमें कहा गया था कि इससे आम जन की प्राइवेसी भंग होने का खतरा रहता है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक गाइडलाइन जारी कर कोर्ट ने कहा कि यह साफ होना चाहिए की टैपिंग का उद्देश्य क्या है, कौन करेगा, मिली जानकारी किससे बाटेगा वगैरह।
ये होगी सजा
बिना परमीशन के अगर कोई व्यक्ति किसी का फोन टैप करता है या परमीशन के बाद कोई अफसर टैप की हुई बातों को किसी अनऑफिशियल व्यक्ति के साथ शेयर करता है तो उसे टेलीग्राफ एक्ट की धारा 26 के तहत दोषी पाया जाएगा। यह सजा तीन साल या जुर्माना या दोनों होगी। इस केस में दोषी को जमानत हो सकती है।
भारत में सिचुएशन
भारत में सेंट्रल और स्टेट दोनों सरकारों के पास फोन टैपिंग कराने का राइट है। इंडियन टेलीग्राफिक एक्ट-1885 के सेक्शन-5 के तहत सरकार को फोन टैपिंग करने की परमीशन दी गई है। इस एक्ट में नियम 419 और 419 ए के तहत टेलीफोन टैपिंग के प्रॉसेस और टैपिंग की निगरानी का उल्लेख है। इंडियन टेलीग्राफिक एक्ट में टेलीफोन टैपिंग के ऑर्डर की निगरानी करने के लिए एक कमेटी का भी प्रावधान है।
जर्मनी में
जर्मनी में दो या दो से अधिक व्यक्तियों की जानकारी के बगैर यदि फोन टैप किया जाता है तो इसे जर्मन क्रिमिनल कोड के तहत क्राइम माना जाएगा। जर्मनी में फोन टैपिंग के लिए लोकल जज से परमीशन लेनी पड़ती है। जर्मनी में बिना जानकारी के टैप किए हुए फोन को सबूत मान लेते हैं।
कनाडा में
कनाडा के नियम के अनुसार फोन पर बात कर रहे दो व्यक्ति में से किसी एक को टैपिंग की जानकारी होना जरूरी है।
फिनलैंड में
फिनलैंड में किसी व्यक्ति का फोन टैप होना कोई बहुत बड़ा इश्यू नहीं है। यहा किसी का फोन टैप करने पर उस टैपिंग की बातचीत से किसी की प्राइवेसी न भंग होती हो, कोई गोपनीय बात लीक न होती हो और यह सामान्य बातचीत हो तो इसके लिए टैप करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई के लिए कोई कड़े नियम नहीं हैं।