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गुरुवार, 8 जुलाई 2010

पहली बरसी पर विशेष :- विनम्र श्रद्धांजलि


अभी उस काले दिन को बीते एक महिना ही हुआ था कि हास्य, व्यंग्य और कविता प्रेमियों को ८ जुलाई'०९ को एक और सदमा लगा | पिछले एक माह यानि ८ जून'०९ से जिंदगी से संघर्ष कर रहे मशहूर हास्य कवि ओम व्यास का ०८ जुलाई'०९ की सुबह दिल्ली में निधन हो गया।

ज्ञात हो ओम व्यास ०८ जून'०९ को एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उनका दिल्ली के अपोलो अस्पताल में इलाज चल रहा था। श्री ओम व्यास ने तड़के अंतिम सांस ली। उल्लेखनीय है कि विदिशा में आयोजित बेतवा महोत्सव से भोपाल लौट रहे कवियों का वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।

इस हादसे में हास्य कवि ओम प्रकाश आदित्य, लाड सिंह और नीरज पुरी की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि ओम व्यास गंभीर रूप से घायल हो गए थे। सभी उनके जल्द ठीक होने की आस लगाये बैठे थे पर ..................होनी को कुछ और ही मंजूर था |

आज ठीक एक साल बीत जाने के बाद भी हिंदी साहित्य प्रेमी इस सदमे से उबार नहीं पाए है |

सभी मैनपुरी वासीयों की श्री ओम व्यास जी को विनम्र श्रद्धांजलि |

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श्री ओम व्यास जी की एक रचना यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ .......................


:: माँ ::

माँ, माँ-माँ संवेदना है, भावना है अहसास है
माँ, माँ जीवन के फूलों में खुशबू का वास है,

माँ, माँ रोते हुए बच्चे का खुशनुमा पलना है,
माँ, माँ मरूथल में नदी या मीठा सा झरना है,

माँ, माँ लोरी है, गीत है, प्यारी सी थाप है,
माँ, माँ पूजा की थाली है, मंत्रों का जाप है,

माँ, माँ आँखों का सिसकता हुआ किनारा है,
माँ, माँ गालों पर पप्पी है, ममता की धारा है,

माँ, माँ झुलसते दिलों में कोयल की बोली है,
माँ, माँ मेहँदी है, कुमकुम है, सिंदूर है, रोली है,

माँ, माँ कलम है, दवात है, स्याही है,
माँ, माँ परमात्मा की स्वयं एक गवाही है,

माँ, माँ त्याग है, तपस्या है, सेवा है,
माँ, माँ फूँक से ठँडा किया हुआ कलेवा है,

माँ, माँ अनुष्ठान है, साधना है, जीवन का हवन है,
माँ, माँ जिंदगी के मोहल्ले में आत्मा का भवन है,

माँ, माँ चूडी वाले हाथों के मजबूत कं धों का नाम है,
माँ, माँ काशी है, काबा है और चारों धाम है,

माँ, माँ चिंता है, याद है, हिचकी है,
माँ, माँ बच्चे की चोट पर सिसकी है,

माँ, माँ चुल्हा-धुँआ-रोटी और हाथों का छाला है,
माँ, माँ ज़िंदगी की कड़वाहट में अमृत का प्याला है,

माँ, माँ पृथ्वी है, जगत है, धूरी है,
माँ बिना इस सृष्टि की कल्पना अधूरी है,

तो माँ की ये कथा अनादि है,
ये अध्याय नही है…
…और माँ का जीवन में कोई पर्याय नहीं है,

तो माँ का महत्व दुनिया में कम हो नहीं सकता,
और माँ जैसा दुनिया में कुछ हो नहीं सकता,

और माँ जैसा दुनिया में कुछ हो नहीं सकता,
तो मैं कला की ये पंक्तियाँ माँ के नाम करता हूँ,
और दुनिया की सभी माताओं को प्रणाम करता हूँ।

-ओम व्यास



12 टिप्‍पणियां:

  1. शिवम जी!
    याद दिलाने का सुक्रिया.. परमादरणीय ओम व्यास जी को मेरा शत शत नमन... ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे... ई कविता हम उनके मूँह से सुने थे केतना बार, अऊर जेतना बार सुने थे ओतने बार आँख भर आया थ.. आज आप रोला दिए.. उनका याद दिला कर अऊर ऊ कबिता लिखकर…

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  2. श्री ओम व्यास जी को विनम्र श्रद्धांजलि..विधि का विधान!

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  3. हास्य कवि ओम प्रकाश आदित्य, लाड सिंह और नीरज पुरी को श्रद्धासुमन अर्पित करता हूँ...याद दिलाने के लिए शुक्रिया ...

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  4. इन महान विभूतियों को मेरा सादर नमस्कार, उनका कार्य हमेशा याद किया जाएगा ! !
    और श्रद्धांजलि पूरे देश की तरफ से शिवम् भाई !!

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  5. ऐसे शानदार इंसान की क्षति पूर्ती असंभव है...वो हमारे दिलों में सदा बसे रहेंगे...
    नीरज

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  6. इन सभी लोकप्रिय कवियों की याद ताज़ा करने व स्वर्गीय श्री ओम व्यास जी की सुन्दर कविता को प्रस्तुत करने के लिए आपका धन्यवाद.

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  7. achchhe kavi ko yad karane ka punya kiyaa, badhai. aur dhanyvaad bhi....

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