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रविवार, 20 जून 2010

" बाप, बाप ही होता है |"


पिता


पिता…पिता जीवन है, सम्बल है, शक्ति है,


पिता…पिता सृष्टी मे निर्माण की अभिव्यक्ती है,



पिता अँगुली पकडे बच्चे का सहारा है,



पिता कभी कुछ खट्टा कभी खारा है,



पिता…पिता पालन है, पोषण है, परिवार का अनुशासन है,



पिता…पिता धौंस से चलना वाला प्रेम का प्रशासन है,



पिता…पिता रोटी है, कपडा है, मकान है,



पिता…पिता छोटे से परिंदे का बडा आसमान है,



पिता…पिता अप्रदर्शित-अनंत प्यार है,



पिता है तो बच्चों को इंतज़ार है,



पिता से ही बच्चों के ढेर सारे सपने हैं,



पिता है तो बाज़ार के सब खिलौने अपने हैं,


पिता से परिवार में प्रतिपल राग है
,


पिता से ही माँ की बिंदी और सुहाग है,



पिता परमात्मा की जगत के प्रति आसक्ती है,



पिता गृहस्थ आश्रम में उच्च स्थिती की भक्ती है,



पिता अपनी इच्छाओं का हनन और परिवार की पूर्ती है,



पिता…पिता रक्त निगले हुए संस्कारों की मूर्ती है,



पिता…पिता एक जीवन को जीवन का दान है,



पिता…पिता दुनिया दिखाने का एहसान है,



पिता…पिता सुरक्षा है, अगर सिर पर हाथ है,



पिता नहीं तो बचपन अनाथ है,



पिता नहीं तो बचपन अनाथ है,



तो पिता से बडा तुम अपना नाम करो,



पिता का अपमान नहीं उनपर अभिमान करो,



क्योंकि माँ-बाप की कमी को कोई बाँट नहीं सकता,



और ईश्वर भी इनके आशिषों को काट नहीं सकता,



विश्व में किसी भी देवता का स्थान दूजा है,



माँ-बाप की सेवा ही सबसे बडी पूजा है,



विश्व में किसी भी तिर्थ की यात्रा व्यर्थ हैं,



यदि बेटे के होते माँ-बाप असमर्थ हैं,



वो खुशनसीब हैं माँ-बाप जिनके साथ होते हैं,



क्योंकि माँ-बाप के आशिषों के हाथ हज़ारों हाथ होते हैं |



क्योंकि माँ-बाप के आशिषों के हाथ हज़ारों हाथ होते हैं |



-
स्व। ओम व्यास ‘ओम’




वैसे अक्सर यह दुआ एक बाप अपने बेटे के लिए करता है पर आज मैं अपने खुदा से यह मांगता हूँ कि मेरी तमाम उमर मेरे पिता को लग जाए क्यूकी किसी ने ठीक ही कहा है कि " बाप, बाप ही होता है |"

LOVE YOU PAPA.


HAPPY FATHER ' s DAY

ज़रा यह भी देखें :-

" फादर'स डे "




10 टिप्‍पणियां:

  1. स्व.ओम प्रकाश जी की ये रचना बहुत ही सुन्दर है.....
    आपको पितृ दिवस की शुभकामनाऎँ!!

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  2. पितृ दिवस की शुभकामनाऎँ!

    जवाब देंहटाएं
  3. मातृ दिवस पर याद है आपकी माता जी का दर्सन हुआ था, अऊर पितृ दिवस पर पिता जी का... हमरी तरफ से उनको प्रनाम... आपके अभिव्यक्ति का अनोखापन, आपका बिसेसता है...

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  4. पिता तो पिता ही होता है जो शान से चलना सिखाता है वाह जी बहुत सुंदर कविता. दुनिया के सभी पिता अपनी उम्र भी बेटे को देने को तेयार होते है, लेकिन ऊपर से सख्त नजर आते है

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  5. यहाँ एक बात फिर से बता देना उचित होगा कि ये कविताएँ मेरी नहीं बल्कि स्व.ओम व्यास ‘ओम’ की है !

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  6. पं.डी.के.शर्मा"वत्स" जी ज़रा ध्यान दें कि ये कविताएँ स्व.ओम प्रकाश जी की नहीं बल्कि स्व.ओम व्यास ‘ओम’ की है !

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