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रविवार, 14 जून 2009

गिरगिट बड़ा या नेता ??????









अब यह तय होना ही चाहिए कि गिरगिट बड़ा या नेता। निरिह और मूक गिरगिट का लेकर बार बार लोगों को कोसते कोसते जमाना बीत गया और नेता वैसा का वैसा है। मेरे खयाल में गिरगिट से ज्‍यादा रंग बदलना तो इंसान को आता है और उसमें भी इंसान अगर नेता बन गया तो ''करेले पर नीम चढ़ा' जैसा हो जाता है। विश्‍वास नहीं हो तो अपने संगमा सा'ब को देख लीजिए। कांग्रेस में अच्‍छी स्थिति रखने वाले संगमा ने कुछ साल पहले सोनिया गांधी को विदेशी तो कहा ही एक ही परिवार की बपौती बताकर उनका आंगन छोड़ आए थे। सही भी है कांग्रेस में परिवारवाद चल रहा है। पहले नेहरू फिर इंदिरा, फिर राजीव और अब सोनिया शायद आगे राहुल। फिर शादी की तो राहुल के बच्‍चे। संगमा जी ने पार्टी छोड़ते हुए उस खेमे से हाथ मिला लिया, जिन्‍होंने घर की बहु को विदेशी कहा। पिछले दिनों संगमा की अकल की ट़यूबलाइट फिर जल गई। उन्‍होंने सोनिया गांधी से जाकर माफी मांगी कि उन्‍होंने कुछ वर्ष पहले उन्‍हें विदेशी कह दिया था। क्‍या कारण है कि सोनिया पहले विदेशी थी और अब नहीं रही। समझदार जानते है कि संगमा ऐसे ही नहीं बदले। अब खुद संगमा की बेटी अगाथा को मंत्री बना दिया गया और स्‍वयं सोनिया ने उनकी तारीफ कर दी, मीडिया ने जबर्दस्‍त ''हाइक'' दे दी तो संगमा के समझ में आया कि इनसे संबंध अच्‍छे रखने में ही फायदे हैं। इसीलिए पहुंच गए माफी मांगने। अगाथा को देश की सबसे कम उम्र की मंत्री बनाने का श्रेय भी सोनिया को ही है। ऐसे में संगमा ने रंग बदला और कांग्रेस अध्‍यक्ष परिवारवाद की वाहक विदेशी महिला सोनिया से माफी मांगने पहुंच गए। अगर यह माफी बेटी के मंत्री बनने से पहले मांग लेते तो शायद आभास कम होता। खेर रंग कांग्रेस का भी कम बदलने वाला नहीं है ''विदेशी'' कहने वाले तो और भी है लेकिन हाथ सिर्फ संगमा पर ही क्‍यों रखा गया?
वैसे नेताओं के रंग बदलने का यह तो एक नमूना मात्र है। आपके आसपास ऐसे सैकड़ों उदाहरण होंगे जब नेताजी ने कहा कुछ और किया कुछ। दरअसल, इनकी आंख अर्जुन की तरह सिर्फ निशाने पर है और वो लक्ष्‍य है सीट।



देखो इन नेताओं का कमाल
रखते बस अपनो का खयाल
सारी जनता रोए अपने हाल
बस जीए तो जीए इनके लाल

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! आप तो लाजवाब शायरी लिखते हैं!
    मुझे आपका ये पोस्ट बेहद पसंद आया! आपने बिल्कुल सही फरमाया की नेता गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं! सब स्वार्थी है और अपने मतलब के लिए दूसरे नेताओं को मक्खन लगाते हैं! सोनिया गाँधी के चर्चे तो हर किसीके जुबान पर है पर उन्हें अब विदेशी बिल्कुल नहीं कहा जा सकता! अब तो गाँधी परिवार का ही राज है! सुनने को आया था की राहुल गाँधी अब अगला प्रधान मंत्री बनेंगे! राजनीती में कुछ भी होना मुमकिन है! लिखते रहिये! बढ़िया पोस्ट के लिए बधाई!

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  2. mishrji,
    प्रतिक्रिया भेजने के लिए धन्यवाद ! एक नज़र आपकी रचना देख गया हूँ, सुंदर और कटाक्षपूर्ण लेखन है. बधाई ! यह पीर आपकी निजी सम्पदा नहीं है, संपूर्ण भारत की पीड़ा है; और सारा जन-मन उसे भोगने के लिए अभिशप्त है. आपने उसे शब्द देने का कष्ट उठाया है, एतदर्थ साधुवाद !

    June 14, 2009 1:45 PM

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