http://ibnlive.in.com/videos/94536/mascot-kalavati-turned-away-from-rahuls-office.html
नीचे ibnlive.in से लिए गए कुछ अंश पेश कर रहा हूँ |
Last year, Rahul Gandhi made Kalavati – a Dalit woman from a nondescript village in Uttar Pradesh – famous in Parliament and across India, making her a symbol of UPA's governance challenge.
Many months have passed and Kalavati seems to have been relegated to those video-taped recordings of that fiery speech.
On Tuesday, Kalavati was in Delhi, demanding the better life promised to her by Rahul Gandhi.
“I am here to remind Rahul Gandhi of the promises he made to me, nothing has changed in my life, I continue to live without a house, without healthcare in my village,” she said in a press conference.
Rahul Gandhi stayed in Kalavati's house in May 2008 where she lived with her nine children.
Her husband is dead, one of the thousands of farmers who committed suicide in Vidarbha.
After the visit, she hoped that the Government would help get her life back in order but it seems the “Rahul Gandhi” tag was not enough to bring real change in her life.
“Wherever she goes now the administration says Kalavati, Why don’t you go and ask Rahul Gandhi himself,” says Jitendra Deshmukh , the activist who is helping Kalavati voice her concerns in public.
But Rahul Gandhi’s office says the young MP is too busy for an appointment.
Bharat Nirman - building a new India - was a catchphrase of the UPA during the election campaign। Many feel the least the Government could do to implement this is to start by helping Kalavati to a house and a better life.
म्रतभोज और दहेज़ की जगह पैसा किसी गरीब की उन्नति में लगाओ तो वो किसी न किसी रूप में फलीभूत होता दिखेगा , जैसा की आप एक पेड़ लगाकर और जब पेड़ के बड़े हो जाने पर छाया लेकर अनुभव करते है।
चलो कुछ ऐसा ही करें जिससे कलावती को राहुल के चक्कर न लगाने पड़े और वह आत्मनिर्भर बने स्वाभिमान से जीने के लिए । हमें युवराज नही जन सेवक चाहिए, राहुल और सिंधिया को महलों में भेज देते है आराम करने के लिए इस सलाह के साथ कि बस बहुत हुआ अब नाटक और नहीं !!!!!
हर सबे गम की सहर हो ये जरुरी तो नहीं.नीद तो दर्द के बिस्तर पर भी आ सकती है.उसकी आगोश में सिर हो ये जरुरी तो नहीं......और फिर दोस्त नए परिंदों को उड़ने में वक़त तो लगता ही है.....
जवाब देंहटाएंमुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बढ़िया पोस्ट के लिए बधाई!
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है!
Dear Shivam, you copied this posting from my blog and did not even mention my name ...its full copy of my post - "http://meriawaaj-ramtyagi.blogspot.com/2009/06/blog-post_09.html"
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका, आप ने मुझे अपनी भूल सुधारने का एक मौका दिया ...............यह पोस्ट उस समय की है जब मैंने ब्लॉग्गिंग जगत में कदम ही रखा था और केवल पोस्टो को पढ़ा करता था, कोई पोस्ट पसंद आगई उसको अपने ब्लॉग पर भी पोस्ट कर दिया | बहुत बहुत धन्यवाद एक बार फिर .................और हाँ आप ने लिखा बहुत बढ़िया था !!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, मैंने नोटिस किया तो सोचा आपसे विनम्र भाव से बोल दूं और आपने भी उसी भाव से गलती स्वीकार कर के उचित काम किया है.
जवाब देंहटाएंये तो बढ़िया रहा, अगर आप साभार पर लिंक भी चस्पा कर दिया करें तो पड़ने वाले चाहें तो उस व्यक्ति की वेबसाइट को visit कर सकते है.
चलो संपर्क में ही रहें...