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रविवार, 25 जुलाई 2010

विजय दिवस पर विशेष :- एक साथी और भी था.....!!







खामोश है जो यह वो सदा है, वो जो नहीं है वो कह रहा है ,
साथी यु तुम को मिले जीत ही जीत सदा |
बस इतना याद रहे ........ एक साथी और भी था ||


जाओ जो लौट के तुम, घर हो खुशी से भरा,
बस इतना याद रहे ........ एक साथी और भी था ||


कल पर्वतो पे कही बरसी थी जब गोलियां ,
हम लोग थे साथ में और हौसले थे जवां |
अब तक चट्टानों पे है अपने लहू के निशां ,
साथी मुबारक तुम्हे यह जश्न हो जीत का ,
बस इतना याद रहे ........ एक साथी और भी था ||


कल तुम से बिछडी हुयी ममता जो फ़िर से मिले ,
कल फूल चहेरा कोई जब मिल के तुम से खिले ,
पाओ तुम इतनी खुशी , मिट जाए सारे गिले,
है प्यार जिन से तुम्हे , साथ रहे वो सदा ,
बस इतना याद रहे ........ एक साथी और भी था ||

जब अमन की बासुरी गूजे गगन के तले,
जब दोस्ती का दिया इन सरहद पे जले ,
जब भूल के दुश्मनी लग जाए कोई गले ,
जब सारे इंसानों का एक ही हो काफिला ,
बस इतना याद रहे ........ एक साथी और भी था ||

बस इतना याद रहे ........ एक साथी और भी था ||


- जावेद अख्तर 


सभी मैनपुरी वासीयों की ओर से कारगिल युद्ध के सभी अमर शहीदों को शत शत नमन !

10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सशक्त पोस्ट।
    वीरों को श्रद्धांजलि।

    जय जवान
    जय हिन्द।

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  2. बहुत सुंदर, चित्रमयी और सार्थक पोस्ट...

    जवाब देंहटाएं
  3. इन रण बांकुरे वीरों को श्रद्धांजलि!

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  4. बहुत खूबसूरत व यादगार पोस्ट के लिए बधाई !

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  5. ज़िंदा रहने के मौसम तो आते बहुत,
    जान देने की रूत रोज आती नहीं,
    मरते-मरते रहा बांकपन साथियों,
    अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों...

    भारत मां के सच्चे सपूतों का शत-शत नमन...

    जय हिंद...

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  6. काफी संतुष्टि प्रदान कर गई यह कविता।

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  7. ई पोस्ट पर टिप्पणी देने का जोग्यता हमरे में नहीं है, सिवम भाई!

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  8. सांस का हर सुमन है वतन के लिए
    जिन्दगी एक हवन है वतन के लिए
    कह गए कारगिल में गोली खाने वाले
    ये हमारा नमन है वतन के लिए॥

    कारगिल के शहीदों को मेरा नमन है।


    विलंब से आने के लिए माफ़ी चाहुंगा।
    नेट की समस्या चल रही है।
    इसलिए रायपुर आ गया हूँ।

    आभार

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  9. वीरों को मेरा शत शत नमन और श्रधांजलि! बहुत ही सुन्दर, यादगार और सार्थक पोस्ट!

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