सदस्य

 

शनिवार, 21 नवंबर 2009

भव्यता का प्रतीक मानी जाती थी पेंसिल !!


करीने से लिखे हुए खूबसूरत अक्षर भला किसे नहीं भाते। अक्षरों को खूबसूरत अंदाज देने में पेंसिल का सबसे अहम योगदान है, लेकिन कम ही लोगों को इस बात की जानकारी होगी कि लेखनी को खूबसूरत अंदाज देने वाली पेंसिल किसी समय में वैभव का प्रतीक भी मानी जाती थी।

अपने शुरुआती समय में सभी पेंसिल पीले रंग की बनाई जाती थीं। इसका कारण था इसके ग्रेफाइट का चीन से आना। चीन में इस रंग को भव्यता का रंग माना जाता था और चीन ने ग्रेफाइट देने से पहले यह शर्त रखी थी कि सभी पेंसिलों को पीले रंग से बनाया जाए। पीले रंग की यह पेंसिल उस समय इसे रखने वाले की भव्यता और शान का प्रतीक मानी जाती थी।

बच्चों के जीवन में पेंसिल की उपयोगिता के संबंध में नर्सरी की शिक्षिका राम्या ने कहा 'आजकल कई माता-पिता अपने बच्चों को पेन से लिखने के लिए प्रेरित करते हैं, लेकिन शुरु में बच्चों को पेंसिल से लिखने की ही प्रेरणा दी जानी चाहिए। पेंसिल के इस्तेमाल से सुधरी लेखनी जिंदगी भर खूबसूरत बनी रहती है। राम्या ने कहा कि बच्चों को पेंसिल से विशेष आकृतियां बनाने को कहा जाता है, जिसे पेंसिल आर्ट का नाम दिया गया है।

रोहिणी में आर्ट क्लासेज चलाने वालीं दिव्या खंडेलवाल ने बताया कि नर्सरी से कक्षा पांच तक के बच्चों को पेंसिल आर्ट सिखाने से जिंदगी भर उनकी लेखनी और कला में उत्कृष्टता बनी रहती है। दिव्या ने बताया कि पेंसिल आर्ट के तहत बच्चों को पेंसिल से शेडिंग और ड्राइंग सिखाई जाती है। अब कई प्रतियोगिताओं में भी पेंसिल आर्ट को बढ़ावा मिल रहा है, जिससे बच्चे इसका उपयोग करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।

दुनिया के कई देशों में 19 नवंबर को पेंसिल दिवस मनाया जाता है। इसी दिन अमेरिकी वैज्ञानिक हॉफमेन लिनमेन को रबर लगी हुई पेंसिल बनाने का पेटेंट मिला था। कई यूरोपीय देशों में इसे फ्री पेंसिल डे भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन पेंसिल फ्री बांटी जाती हैं। यूरोप में वर्ष 1622 से पेंसिलों का उत्पादन हो रहा है। पुराने समय की पेंसिल आज की पेंसिलों से अलग हुआ करती थीं। पहली अमेरिकी पेंसिल का निर्माण 1812 में हुआ था।

पेंसिल के बारे में एक मजेदार तथ्य यह भी माना जाता है कि एक सामान्य पेंसिल लगभग 45,000 शब्द लिख सकती है। साथ ही एक पेंसिल से लगभग 35 मील लंबी लाइन खींची जा सकती है। पेंसिल से शून्य गुरुत्वाकर्षणमें लिखना भी संभव है।

5 टिप्‍पणियां:

  1. पेन्सिल के विषय में बड़ी जबरदस्त जानकारी दी. इसके पीले रंग के बारे में कभी सोचा भी हो तो कारण आज जाना!!

    जवाब देंहटाएं
  2. भव्यता का प्रतीक मानी जाती थी पेंसिल !!

    थी से मतलब .... आज भी है।
    हम सब तो सीखे ही आज के पांच तारा जीवन जी रहे लोगों के भी बच्चे इसी से लिखना पढ़ना सीखते हैं।

    जवाब देंहटाएं
  3. रश्मि प्रभा जी ब्लॉग बुलेटिन के माध्यम से अक्सर पुरानी यादें ताज़ा करवाती रहती हैं ... आज की बुलेटिन में भी ऐसी ही कुछ ब्लॉग पोस्टों को लिंक किया गया है|

    ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, वो जब याद आए, बहुत याद आए – 2 “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणियों की मुझे प्रतीक्षा रहती है,आप अपना अमूल्य समय मेरे लिए निकालते हैं। इसके लिए कृतज्ञता एवं धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।

ब्लॉग आर्काइव

Twitter