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शनिवार, 15 मई 2010

जन्मदिन पर विशेष :- सुखदेव को अंग्रेजों ने दी बिना जुर्म की सजा


जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा विभाग के अध्यक्ष और इतिहासकार चमन लाल का कहना है कि सांडर्स हत्याकांड में सुखदेव शामिल नहीं थे, लेकिन फिर भी ब्रितानिया हुकूमत ने उन्हें फांसी पर लटका दिया। उनका कहना है कि राजगुरु, सुखदेव और भगत सिंह की लोकप्रियता तथा क्रांतिकारी गतिविधियों से अंग्रेजी शासन इस कदर हिला हुआ था कि वह उन्हें हर कीमत पर फांसी पर लटकाना चाहता था।

अंग्रेजों ने भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की फांसी को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था और वे हर कीमत पर इन तीनों क्रांतिकारियों को ठिकाने लगाना चाहते थे। लाहौर षड्यंत्र [सांडर्स हत्याकांड] में जहां पक्षपातपूर्ण ढंग से मुकदमा चलाया गया, वहीं अंग्रेजों ने सुखदेव के मामले में तो सभी हदें पार कर दीं और उन्हें बिना जुर्म के ही फांसी पर लटका दिया।

उन्होंने कहा कि सांडर्स हत्याकांड में पक्षपातपूर्ण ढंग से मुकदमा चलाया गया और सुखदेव को इस मामले में बिना जुर्म के ही सजा दे दी गई। पंद्रह मई १९०७ को पंजाब के लायलपुर [अब पाकिस्तान का फैसलाबाद] में जन्मे सुखदेव भी भगत सिंह की तरह बचपन से ही आजादी का सपना पाले हुए थे। ये दोनों लाहौर नेशनल कॉलेज के छात्र थे। दोनों एक ही सन में लायलपुर में पैदा हुए और एक ही साथ शहीद हो गए।

चमन लाल ने बताया कि दोनों के बीच गहरी दोस्ती थी। चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व में पब्लिक सेफ्टी और ट्रेड डिस्प्यूट बिल के विरोध में सेंट्रल असेंबली में बम फेंकने के लिए जब हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी [एचएसआरए] की पहली बैठक हुई तो उसमें सुखदेव शामिल नहीं थे। बैठक में भगत ने कहा कि बम वह फेंकेंगे, लेकिन आजाद ने उन्हें इजाजत नहीं दी और कहा कि संगठन को उनकी बहुत जरूरत है। दूसरी बैठक में जब सुखदेव शामिल हुए तो उन्होंने भगत सिंह को ताना दिया कि शायद तुम्हारे भीतर जिंदगी जीने की ललक जाग उठी है, इसीलिए बम फेंकने नहीं जाना चाहते। इस पर भगत ने आजाद से कहा कि बम वह ही फेंकेंगे और अपनी गिरफ्तारी भी देंगे।

चमन लाल ने बताया कि अगले दिन जब सुखदेव बैठक में आए तो उनकी आंखें सूजी हुइ थीं। वह भगत को ताना मारने की वजह से सारी रात सो नहीं पाए थे। उन्हें अहसास हो गया था कि गिरफ्तारी के बाद भगत सिंह की फांसी निश्चित है। इस पर भगत सिंह ने सुखदेव को सांत्वना दी और कहा कि देश को कुर्बानी की जरूरत है। सुखदेव ने अपने द्वारा कही गई बातों के लिए माफी मांगी और भगत सिंह इस पर मुस्करा दिए। दोनों के परिवार लायलपुर में पास-पास ही रहा करते थे।


भारत माँ के इस सच्चे सपूत सुखदेव को उनके जन्मदिन के अवसर पर हम सब की ओर से शत शत नमन !!

वन्दे मातरम !!

6 टिप्‍पणियां:

  1. भगत सिंह व सुखदेव जी के सन्दर्भ में दी गयी जानकारी
    अच्छी लगी !
    इस क्रांतिकारी को मेरा भी शत शत नमन !

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  2. बहुत खूब । आपका जन्मदिन सुखदेव के साथ आज ही । आपको जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवम शुभकामनायें ।
    और शहीद सुखदेव को नमन।

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  3. Desh ke sachche sapooto ko shat shat naman....

    आदरणीय शिवम बाबू,

    हमको याद है कि अभी हमरा पिछलका पोस्ट पर हमरे ई लिखने पर कि ई सच्चा घटना पर आधारित है, आप लिखे थे कि आपको हमरा ईमानदारी पर भरोसा है. गौर करने वाला बात ई है कि उस समय तक हम मात्र बिहारी थे सलिल नहीं हुए थे. आज आपके नाम से हमको सम्बोधित किए जाने पर हम पहिला बार अपना नान सब के सामने बोले हैं.
    लेकिन आपका कमेंट पढने के बाद दिल दुखा है हमरा. अगर हमरा झा जी के साथ कोई रिस्ता होता त हम अज ऊ भी गछ लेते. लेकिन जब पहिला दिन कोई हमको उनके नाम से गरिआया था त हम उनके ब्लोग पर जाकर उनको बोल आए थे. ऊ हमको फोर्मैल्टी में भी जवाब देने नहीं आए.
    जाने दीजिए हम कभी किसी का बिचार बदलने का कोसिस नहीं करते हैं, ईमानदारी से अपना रास्ता चलते हैं. काहे कि बकौल राहत इंदौरीः
    ख़तावार समझेगी दुनिया तुझे
    अब इतनी भी ज़्यादा सफाई न दे.

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  4. सबसे पहले तो आपको जन्मदिन की बधाइयाँ ...
    ये जानकर, कि सुखदेव का जन्मदिन भी आज ही है, मुझे खुशी हो रही है, क्यूंकि इत्तेफाकन मेरा जन्मदिन भी आज ही है ... अच्छा लगा ये जानकर कि मैं अपना जन्मदिन एक वीर शहीद के साथ साँझा कर रहा हूँ ... इस जानकारी और एक सुन्दर लेख के लिए धन्यवाद !

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  5. भारत माँ के इस सच्चे सपूत सुखदेव को उनके जन्मदिन के अवसर पर शत शत नमन !!

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