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सोमवार, 30 मई 2011

विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2011 पर एक रि पोस्ट

धूम्रपान
एक कार्य महान

सिगरेट
है संजीवनी
पीकर
स्वास्थ्य बनाओ

समय
से पहले बूढ़े होकर
रियायतों
का लाभ उठाओ

सिगरेट
पीकर ही
हैरी और माइकल निकलते हैं

दूध
और फल खाकर तो
हरगोपाल
बनते हैं

जो
नहीं पीते उन्हें
इस
सुख से अवगत कराओ

बस में रेल में घर में जेल में
सिगरेट
सुलगाओ

अगर
पैसे कम हैं
फिर
भी काम चला लो

जरूरी
नहीं है सिगरेट
कभी कभी बीड़ी सुलगा लो

बीड़ी
सफलता की सीढ़ी
इस
पर चढ़ते चले जाओ

मेहनत
की कमाई
सही
काम में लगाओ

जो
हड्डियां गलाते हैं
वो
तपस्वी कहलाते हैं


कलयुग के दधीचि
हड्डियों
के साथ करो
फेफड़े
और गुर्दे भी कुर्बान

क्योंकि
धूम्रपान
एक कार्य महान ||
(कभी एक मित्र ने ऑरकुट पर यह राय दी थी....सोचा आप ही क्यों वंचित रहे !)

8 टिप्‍पणियां:

  1. तस्वीर देखकर तो सच में कोई भी तरुण आकर्षित हो सकता है ।

    ज़रुरत है सिग्रेट के पैक पर --फेफड़ेऔर गुर्दे भी कुर्बान--सन्देश की ।

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  2. हम तो न सिगरेट पीते हैं न ही तम्बाखू का सेवन करते हैं ... सिगरेट पीना कोई स्टाइल नहीं बेवकूफी है ...

    जवाब देंहटाएं
  3. पता नहीं क्यों लोग फेफड़े और पैसा दोनों फूंकते हैं.

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन व्यंग्य !बात को कहने का एक अंदाज़ यह भी है .ऐसे कहो अपनी बात जैसे आपने कहा भाषण मत दो उपदेश मत दो .व्यंग्य बाण चलाओ .धुंआ हो जाओ .सिगरेट सुलगाओ खुद पीओ ,औरों को पिलाओ ,पीने के नित नए अंदाज़ सिखाओ .दधीची बन जाओ -
    दो पंक्तियाँ दधीची पे -
    अरे दधीची झूठा होगा ,जिसने कर दीं दान अस्थियाँ ,
    जब से तुमने वज्र संभाला मरने वाला संभल गया है ,

    जवाब देंहटाएं
  5. क्या कहने साहब!
    अच्छा व्यंग्य किया है आपने!

    जवाब देंहटाएं
  6. बेहतरीन व्यंग्य !
    .... - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार...

    जवाब देंहटाएं

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