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रविवार, 8 मई 2011

|| माँ ||

बेसन की सौधी रोटी पर
खट्टी चटनी - जैसी माँ
याद आती है चौका - बासन
चिमटा , फुकनी - जैसी माँ ||

बान की खुर्री खाट के ऊपर
हर आहट पर कान धरे
आधी सोयी आधी जागी
थकी दोपहरी - जैसी माँ ||

चिडियों की चहकार में गूँजे
राधा - मोहन , अली - अली
मुर्गे की आवाज़ से खुलती
घर की कुण्डी - जैसी माँ ||

बीवी , बेटी , बहन , पडोसन
थोडी - थोडी सी सब में
दिन भर एक रस्सी के ऊपर
चलती नटनी - जैसी माँ ||

बाँट के अपना चहेरा , माथा
आँखे जाने कहाँ गई
फटे पुराने एक एल्बम में
चंचल लड़की - जैसी माँ ||


----- निदा फाजली .



मेरी माँ और हर माँ को समर्पित |



|| वन्दे मातरम ||

12 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर पंक्तियाँ। पढ़वाने का आभार।

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  2. बहुत सुन्दर रचना!
    --
    मातृदिवस की शुभकामनाएँ!
    --
    बहुत चाव से दूध पिलाती,
    बिन मेरे वो रह नहीं पाती,
    सीधी सच्ची मेरी माता,
    सबसे अच्छी मेरी माता,
    ममता से वो मुझे बुलाती,
    करती सबसे न्यारी बातें।
    खुश होकर करती है अम्मा,
    मुझसे कितनी सारी बातें।।

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  3. वाह , बहुत सुन्दर रचना । मां का आशीर्वाद सदा बना रहे , यही दुआ है ।

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  4. आभार इस रचना को पढ़वाने का...


    मातृदिवस की शुभकामनाएँ..

    सादर

    समीर लाल
    http://udantashtari.blogspot.com/

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  5. वाह ... लाजवाब शेर हैं निदा जी के क्या कहने ... माँ को सलाम ....

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  6. भगवान से भी उच्च स्थान पर विराजमान होने वाली माँ के लिए महान शायर की अद्वितीय रचना!!

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  7. दराल साहब के शब्द चुराकर यही कहूँगा की प्रत्येक बच्चा अपनी माँ के आशीर्वाद का पात्र हमेशा बना रहे.

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  8. सुंदर रचना. मात् दिवस कि शुभकामनाएँ

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  9. दुनिया के सभी माओं को प्रणाम ... निदा फाजली की ये रचना तो कालजयी है ...

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  10. माँ के आशीर्वाद से बढ़कर कुछ नहीं

    जवाब देंहटाएं

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