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बुधवार, 23 फ़रवरी 2011

दोस्त या दुश्मन - एक माइक्रो पोस्ट

एक माइक्रो पोस्ट ...



मुझे जैसा ही आदमी ... मेरा ही हमनाम ...
 
उल्टा सीधा यह चले ... मुझे करे बदनाम !

20 टिप्‍पणियां:

  1. मुझे जैसा ही आदमी ... मेरा ही हमनाम ...
    उल्टा सीधा यह चले ... मुझे करे बदनाम !


    बोले तो जबरदस्त... कुम्भ के मेले में तो नहीं बिछड़ा?

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  2. हम तो हारे अब आप ही बताइए ...

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  3. कुम्भ के मेले में तो नहीं बिछड़ा?

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  4. अरे ये तो कलकत्ता से भागा हुआ अपराधी है!! आजकल उत्तर प्रदेश के किसी स्थान में छिपा है!!

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  5. अजी बदनाम हुए तो क्या नाम न होगा इसलिए इन्हें अपना मित्र ही मानिये.



    नोट : मेरे उपरोक्त विचार आपके लेख को पढ़ कर ही उत्पन्न हुए हैं जिन्हें मैं "तेरा तुझको अर्पण" वाली तर्ज पर यहाँ टिपण्णी रूप में दर्ज कर रहा हूँ. इस टिपण्णी के पीछे कोई अन्य छिपा हुआ मंतव्य नहीं है. आप इसे उधार में दी गयी टिपण्णी समझ कर प्रतिउत्तर में मेरे ब्लॉग पर टिपण्णी करने के लिए बाध्य नहीं हैं.

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  6. शिवम भाई ईनाम ज्यादा हे चलो फ़िफ़्टी फ़िफ़्टी कर ले, यह तो आप ही लग रहे हो:)

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  7. सुनिए हो , हम तो बराबर चिन्ह गए हैं ..ईनाम का चेक लेकर ही पहुंचिएगा ..बराबर बराबर बंटाएगा माल

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  8. इनाम डालर में मिलेगा या रुपये में बदल कर दिया जायेगा का है की आज कल पकडे जाने का डर ज्यादा है ना |

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  9. मिश्रा जी, समझ तो हमें भी कुछ नहीं आया परंतु "बुरा भला" "दोस्त या दुश्मन" आदि शब्द युग्मों से एक पुराने गीत की पंक्ति ज़रूर याद आ गयी -
    मानो तो मैं गंगा माँ हूँ न मानो तो बहता पानी...

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  10. हा हा इन्हें तो लालटेन लेकर खोजना पड़ेगा.. वैसै ही मिटटी का तेल नहीं मिल रहा है ...नाईस

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  11. अच्छा, तो यहाँ भी ये अपराधी भाई जी आ गए हैं :) :)
    मैं भी पहचानता हूँ...बोलिए कितना हिस्सा मेरा रहेगा :)

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  12. Baqi hai Dil mein Shekh Ke Hasrat Gunah Ki
    Kala Karega Munh Bhi Jo Darhi Siyah Ki

    sab dil ke arman pure karne ke bahane hai khud hi kaale karname karke kah doge mere jaisa hi koi hai mujhe badanm kar raha hai

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