इंटरनेट के युग में ग्रामीण भारत में पोस्ट आफिस और डाकिए के महत्व और प्रासंगिकता को देखते हुए सरकार ने डाक विभाग को विशिष्ट पहचान संख्या से जोड़ दिया है ताकि लोगों को उनकी चिठ्ठिया समय पर मिल सके और उन्हें अपने खतों की स्थिति के बारे में जानकारी मिल सके।
डाक विभाग और भारतीय विशिष्ठ पहचान संख्या [यूआईडीएआई] ने इस आशय के सहमति पत्र हस्ताक्षर किया है। लोग अब यह पता कर सकते हैं कि उनकी चिठ्ठी पते पर पहुंची है या नहीं। केंद्रीय दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने इस अवसर पर कहा कि भारत गावों का देश है। ग्रामीण भारत में आज भी डाकिया सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति है। हम चाहते हैं कि सूचना के प्रवाह के इस माध्यम को प्रौद्योगिकी से जोड़ा जाए ताकि गावों में रहने वाले लोगों को फायदा हो। उन्होंने कहा कि आज भी गाव में जब अपनों का हालचाल जानने के लिए लोगों की निगाहें साइकिल पर आने वाले डाकिए पर लगी रही है। हम चाहते हैं कि डाक व्यवस्था को पूरी तरह से सूचना प्रौद्योगिकी से जोड़ा जाए ताकि आम लोगों को फायदा हो। डाक विभाग और यूआईडीएआई के बीच यह सहयोग इसी दिशा में एक प्रयास है जो देश में समावेशी विकास सुनिश्चित करेगा।
यूआईडीएआई के अध्यक्ष नंदन नीलेकणि ने कहा कि डाक विभाग को अत्याधुनिक बनाने की दिशा में यह गठजोड़ एक महत्वपूर्ण पहल है जिसके दायरे में चिठ्ठियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजना, डाक से जुड़े साजो-सामान, प्रौद्योगिकी उन्नयन आदि आते हैं। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से अब लोगों को इस बात का पता चल सकेगा कि उनकी चिठ्ठी कहां है। कोई भी व्यक्ति आनलाइन माध्यम से इस बात का आग्रह कर सकता है कि उनकी चिठ्ठी पते पर पहुंची है या नहीं।
नीलेकणि ने कहा कि इसके तहत ऐसी व्यवस्था की गई है कि प्रणाली में इलेक्ट्रानिक माध्यम से फाइल को भेज दिया जाता है जांच उच्च प्रौद्योगिकी से जुड़ी होती है। इससे यह पता लगाया जाता है कि चिठ्ठी कहा हैं।
यूआईडीएआई, डाक विभाग के राष्ट्रीय नेटवर्क को उन्नत बनाना चाहती है और देश के सभी नागरिकों को विशिष्ठ सेवा से जोड़ना चाहता है।
इसके माध्यम से डाक विभाग का कारोबार बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। इस अवसर पर 'फ्लैट रेट पार्सल बक्से' को भी पेश किया गया जिसके माध्यम से अब उपभोक्ताओं को पैकेजिंग की परेशानी पेश नहीं आएगी। इसके माध्यम से सामानों को सुरक्षित भेजा जाना सुनिश्चित किया जा सकेगा। यह एक किलोग्राम, 2.5 किलोग्राम और 5 किलोग्राम तीन तरह का होगा। इसके स्पीड पोस्ट की तरह ही भेजा जा सकेगा।
janakari to badhiya hai par age dekhate hain ..
जवाब देंहटाएंयू आई डी नम्बर के साथ, चिट्ठियाँ पहुँचेंगी.. लेकिन शहरों से तो ई मेल और एसएमएस के कारण पत्र ग़ायब हो गये हैं, तो अब गाँव गाँव में इंटरनेट होने के कारण वहाँ क्या तब तक पत्रों का सिलसिला रहेगा! ख़बर अच्छी है, उपयोगिता समय सिद्ध करेगा..
जवाब देंहटाएंयोजना तो अच्छी है... अमल में आनें दीजिए....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर समाचार जी, हमारे यहां तो आज भी डाकिया आता हे,फ़र्क बस अब यह पडा हे कि अब अपनो की चिट्टियां नही आती बाकी सभी पत्र आते हे, ओर हमे डाकिये का इंतजार भी रहता हे, तकरीबन रोज ही आता हे डाक बाबू
जवाब देंहटाएंअच्छी पहल है..
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जवाब देंहटाएंइस पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - मेरे लिए उपहार - फिर से मिल जाये संयुक्त परिवार - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा