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मंगलवार, 17 जुलाई 2018

अमर शहीद फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों की ७५ वीं जयंती

फ़्लाइंग ऑफ़िसर निर्मलजीत सिंह सेखों (अंग्रेज़ी:Flying Officer Nirmal Jit Singh Sekhon, जन्म: 17 जुलाई, 1943 - शहादत: 14 दिसम्बर, 1971) परमवीर चक्र से सम्मानित भारतीय व्यक्ति थे। इन्हें यह सम्मान सन 1971 में मरणोपरांत मिला। भारतीय वायु सेना से परमवीर चक्र के एकमात्र विजेता फ़्लाइंग ऑफ़िसर निर्मलजीत सिंह सेखों ने 1971 में पाकिस्तान के विरुद्ध लड़ते हुए उस युद्ध में वीरगति पाई, जिसमें भारत विजयी हुआ और पाकिस्तान से टूट कर उसका एक पूर्वी हिस्सा, बांग्लादेश के नाम से स्वतंत्र राष्ट्र बन गया। इस समय निर्मलजीत सिंह श्रीनगर वायु सेना के हवाई अड्डे पर मुस्तैदी से तैनात थे और नेट हवाई जहाजों पर अपने करिश्मे के लिए निर्मलजीत सिंह उस्ताद माने जाते थे।

जीवन परिचय

फ़्लाइंग ऑफ़िसर निर्मलजीत सिंह सेखों का जन्म 17 जुलाई 1947 को रूरका गाँव, लुधियाना, पंजाब में हुआ था। फौज में आने वाले अपने परिवार से वह अकेले नहीं थे बल्कि इस क्रम में वह दूसरे नम्बर पर थे। बस कुछ ही महीने पहले उनका विवाह हुआ था और उसमें भी निर्मलजीत सिंह ने पत्नी मंजीत के साथ बहुत थोड़ा सा समय बिताया था। नए जीवन के कितने ही सपने उनकी आँखों में रहे होंगे, जो देश की माँग के आगे छोटे पड़ गए। उन्हें उस निर्णायक पल में सिर्फ अपना नेट विमान सूझा और दुश्मन के F-86 सेबर जेट, जिन्हें निर्मलजीत सिंह को मार गिराना था।

शौर्य गाथा

14 दिसम्बर 1971 को श्रीनगर एयरफील्ड पर पाकिस्तान के छह सैबर जेट विमानों ने हमला किया था। सुरक्षा टुकड़ी की कमान संभालते हुए फ़्लाइंग ऑफ़िसर निर्मलजीत सिंह वहाँ पर 18 नेट स्क्वाड्रन के साथ तैनात थे। दुश्मन F-86 सेबर जेट वेमानों के साथ आया था। उस समय निर्मलजीत के साथ फ्लाइंग लैफ्टिनेंट घुम्मन भी कमर कस कर मौजूद थे। एयरफील्ड में एकदम सवेरे काफ़ी धुँध थी। सुबह 8 बजकर 2 मिनट पर चेतावनी मिली थी कि दुश्मन आक्रमण पर है। निर्मलसिंह तथा घुम्मन ने तुरंत अपने उड़ जाने का संकेत दिया और उत्तर की प्रतीक्षा में दस सेकेण्ड के बाद बिना उत्तर उड़ जाने का निर्णय लिया। ठीक 8 बजकर 4 मीनट पर दोनों वायु सेना-अधिकारी दुश्मन का सामना करने के लिए आसमान में थे। उस समय दुश्मन का पहला F-86 सेबर जेट एयर फील्ड पर गोता लगाने की तैयारी कर रहा था। एयर फील्ड से पहले घुम्मन के जहाज ने रन वे छोड़ा था। उसके बाद जैसे ही निर्मलजीत सिंह का नेट उड़ा, रन वे पर उनके ठीक पीछे एक बम आकर गिरा। घुम्मन उस समय खुद एक सेबर जेट का पीछा कर रहे थे। सेखों ने हवा में आकार दो सेबर जेट विमानों का सामना किया, इनमें से एक जहाज वही था, जिसने एयरफिल्ट पर बम गिराया था। बम गिरने के बाद एयर फील्ड से कॉम्बैट एयर पेट्रोल का सम्पर्क सेखों तथा घुम्मन से टूट गया था। सारी एयरफिल्ड धुएँ और धूल से भर गई थी, जो उस बम विस्फोट का परिणाम थी। इस सबके कारण दूर तक देख पाना कठिन था। तभी फ्लाइट कमाण्डर स्क्वाड्रन लीडर पठानिया को नजर आया कि कोई दो हवाई जहाज मुठभेड़ की तौयारी में हैं। घुम्मन ने भी इस बात की कोशिश की, कि वह निर्मलजीत सिंह की मदद के लिए वहाँ पहुँच सकें लेकिन यह सम्भव नहीं हो सका। तभी रेडियो संचार व्यवस्था से निर्मलजीत सिंह की आवाज़ सुनाई पड़ी...

'मैं दो सेबर जेट जहाजों के पीछे हूँ...मैं उन्हें जाने नहीं दूँगा...'

उसके कुछ ही क्षण बाद नेट से आक्रमण की आवाज़ आसपान में गूँजी और एक सेबर जेट आग में जलता हुआ गिरता नजर आया। तभी निर्मलजीत सिंह सेखों ने अपना सन्देश प्रसारित किया:
'मैं मुकाबले पर हूँ और मुझे मजा आ रहा है। मेरे इर्द-गिर्द दुश्मन के दो सेबर जेट हैं। मैं एक का ही पीछा कर रहा हूँ, दूसरा मेरे साथ-साथ चल रहा है।'
इस सन्देश के जवाब में स्क्वेड्रन लीडर पठानिया ने निर्मलजित सिंह को कुछ सुरक्षा सम्बन्धी हिदायत दी, जिसे उन्होंने पहले ही पूरा कर लिया था। इसके बाद नेट से एक और धमाका हुआ जिसके साथ दुश्मन के सेबर जेट के ध्वस्त होने की आवाज़ भी आई। अभी निर्मलजीत सिंह को कुछ और भी करना बाकी था, उनका निशाना फिर लगा और एक बड़े धमाके के साथ दूसरा सेबर जेट भी ढेर हो गया। कुछ देर की शांति के बाद फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों का सन्देश फिर सुना गया। उन्होंने कहा-
'शायद मेरा नेट भी निशाने पर आ गया है... घुम्मन, अब तुम मोर्चा संभालो।'
यह निर्मलजीत सिंह का अंतिम सन्देश था। अपना काम पूरा कर वे वीरगति को प्राप्त हो गए।


परमवीर चक्र विजेता अमर शहीद फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों को उनकी ७५ वीं जयंती पर शत शत नमन।

जय हिन्द !!!

जय हिन्द की सेना !!!

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