साल भर पहले यह 'कविता' लिखी थी ... एक बार फिर यहाँ आपको यह पढ़वा रहा हूँ ... इस बार चित्र के साथ !
यहाँ खुदा ... वहाँ खुदा ... कहाँ कहाँ नहीं खुदा ...
और जहाँ नहीं खुदा वहाँ कल खुदा होगा ...
क्यों कि मैनपुरी में सीवर लाइन का कार्य प्रगति पर है ...
जनता परेशान ... मिडिया चुप और अधिकारी ... दिन ओ रात तरक्की पर है ...
स्विस बैंक की जरुरत नहीं इनको ... आईसीआईसीआई से काम चलता है ...
५ बोरी सीमेंट में ५० बोरी बालू ... अरे बाबूजी इतना तो चलता है ...
'भारत निर्माण ' में यह लोग भी अपना योगदान लगा रहे है ...
जहाँ कहीं से भी आवाज़ उठे ...
हाल उसको दबा रहे है ...
वो अन्ना तो पागल है जो फिर अनशन पर बैठेगा ...
नगर पालिका के आगे देखो गांधी खुद कैद में दिखेगा ...
- शिवम् मिश्रा
(मैनपुरी नगर पालिका के सामने लगी हुई गांधी जी की यह मूर्ति , नगर मे पिछले 4 साल से चल रहे सीवर लाइन के कार्य , अन्ना के अनशन , आदि का मिला जुला असर है जो आप के सामने है )
ufff:) ek jimmewar nagrik ki awaaj hai ... bas yahi kahunga....
जवाब देंहटाएंकैद में बुलबुल सैय्याद मुस्कराए
जवाब देंहटाएंरहा भी न जाये चुप रहा भी न जाये ,,,,
RECENT POST काव्यान्जलि ...: रक्षा का बंधन,,,,
सन्नाट है महाराज..
जवाब देंहटाएंवाह कुछ चीज़ें कभी नहीं बदलती , बेशक साल और महीने बदल जाएं ।
जवाब देंहटाएंआज भी ये पंक्तियां उतनी ही सटीक बैठती हैं शिवम भाई
व्यथा शहर शहर की
जवाब देंहटाएं