कल राधा अष्टमी थी | हमारे यहाँ, मैनपुरी के चौथियाना मोहल्ले में, बिहारी जी का एक प्राचीन मंदिर है, सालो से हर राधा अष्टमी के दिन यहाँ मेला लगता है | आइये थोडा जाने राधा - कृष्ण के बारे में ! फिर आप सब को मेले की सैर करवाता हूँ !
कृष्ण शब्द हैं तो राधा अर्थ.., कृष्ण गीत हैं तो राधा संगीत.., कृष्ण वंशी हैं तो राधा स्वर.., कृष्ण समुद्र हैं तो राधा तरंग..,कृष्ण फूल हैं तो राधा उसकी सुगंध.. राधा के आराधकों ने कृष्ण और राधा का एकाकार स्वरूप दर्शाने के अनेक प्रयास किए हैं।
कई लोगों की मान्यता है कि श्रीकृष्ण और राधा अलग-अलग होते हुए भी एक हैं। पहली समानता तो यही है कि दोनों का जन्म भाद्रपद मास की अष्टमी को हुआ। मान्यता है कि कृष्ण का जन्म कृष्णपक्ष की अष्टमी को हुआ, तो राधा का शुक्लपक्ष अष्टमी को। अनेक विद्वान मानते हैं कि राधा और कृष्ण दोनों एक ही हैं। नारद पंचरात्र के 'ज्ञानामृतसार' के अनुसार, राधा और कृष्ण एक ही शक्ति के दो रूप हो गए। वहीं चैतन्य सम्प्रदाय भी राधा और कृष्ण में भिन्नता को नहींमानता।
श्रीमद्भागवत् में वर्णन है कि श्रीकृष्ण ही एकमात्र भगवान हैं, बाकी सब उन्हीं के अंश हैं। यहां यह उल्लेख है कि कृष्ण की एक परा शक्ति है जिनका नाम आल्हादिनी शक्ति है। उसे स्वरूप शक्ति भी कहते हैं, वे कृष्ण से अभिन्न हैं। वे ही राधा जी हैं। यह भी मान्यता है कि श्रीकृष्ण में 'श्री' शब्द राधा जी के लिए ही प्रयुक्त हुआ है। 'सूरसागर' में सूरदास जी ने भी एक दोहे में लिखा है कि श्रीकृष्ण की सोलह हजार गोपिया मात्र देह हैं, जबकि उनकी आत्मा राधा हैं।
वैसे हम तो इतना ही जानते है कि........... मथुरा के पास रहोगे तो राधे राधे कहोगे !!
और मैनपुरी भी मथुरा से ज्यादा दूर थोड़े ही है ......
तो जी लीजिये साहब ..........हम भी राधे राधे करते हुए आप सब को लिए चलते है मेले की ओर !
|
बिहारी जी और राधा रानी का भव्य श्रृंगार | | |
|
मेले की एक झलक |
|
मेला परिसर और पीछे मंदिर श्री बिहारी जी महाराज |
|
पुजारी जी मुस्तैद बिहारी जी की सेवा में |
|
भजन संध्या |
|
भजन में मगन कमलेश चतुर्वेदी ( टिंकू चाचा ) और देवेश चतुर्वेदी |
|
हम चौबो की कुलदेवी महाविद्या जी |
|
श्री हनुमान जी महाराज |
|
मंदिर के जगमोहन में स्थापित अन्य देवी देवता |
|
मंदिर के जगमोहन में स्थापित अन्य देवी देवता |
|
यारा दी टोली |
|
मेले में झुला ........झूले पर कार्तिक |
|
मेले की मौज
|
|
यह मेला खत्म क्यों हो गया ?? |
तो साहब यह था हमारे छोटे से शहर, मैनपुरी के एक छोटे से मोहल्ले, चौथियाना के मंदिर श्री बिहारी जी महाराज के परिसर में हर साल राधा अष्टमी के दिन लगने वाले मेले की कुछ झलकियाँ .......आशा है आपको भी मेले मज़ा आया होगा !
अब आज्ञा दीजिये .......
जय ...जय ... श्री राधे ... !!
राधे राधे!! मेले का खूब आनंद लिया.
जवाब देंहटाएंसिवम बाबू... राधे राधे जपो चले आएँगे बिहारी... आपने राधे का नाम लिया अऊर बिहारी आ गया.. मजाक जाने दीजिए.. बहुत बढ़िया लगा बर्नन, मेला अऊर मंदिर का दृश्य.. साथ में दैत्यों का टोली भी अऊर बाबू कार्तिक अकेले काहे थे... मेला में बच्चा को अकेले नहीं छोड़ना चाहिए...
जवाब देंहटाएंक्या खूब सैर करवाई है आपने ! हमको भी अपने फर्रुखाबाद की राधाष्टमी याद आ गई ,सुबह पांच बजे मंदिर में महाभिषेक देखने का जो आनंद था बस वही मिस कर रहे है
जवाब देंहटाएंजय श्री राधे
सलिल भाई , बाबु कार्तिक अकेले नहीं थे मेले में .......पूरी Z + सुरक्षा के साथ थे .....बस तस्वीर में आपको अकेले ही दिख रहे है !
जवाब देंहटाएंमजा आ गया मेला घुम के, लेकिन अंत मै इस अकेले बच्चे को तीनो ने क्यो डराया जी, उस चित्र को देख कर तो कोई भी डर जाये:)राधे राधे जप जी
जवाब देंहटाएंरपट बहुत बढ़िया रही!
जवाब देंहटाएं--
बधाई!
--
दो दिनों तक नेट खराब रहा! आज कुछ ठीक है।
शाम तक सबके यहाँ हाजिरी लगाने का
इतनी प्यारी संकलन योग्य झांकियों के लिए धन्यवाद ! शुभकामनायें शिवम् भाई !
जवाब देंहटाएंसिकुरिटी त फोटो में देखाइए दे रहा है..
जवाब देंहटाएंमजा आ गया भई राधा जन्मोत्सव पर आयोजित मेले के दर्शन कर........
जवाब देंहटाएंmela ghum ke accha laga
जवाब देंहटाएं