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बुधवार, 29 सितंबर 2010

एक माइक्रो पोस्ट :- चल तू खैनी घिस !!


रहेमु बोला नत्था से ...... पहले २४ ....फिर २८ और अब ३० ...??
नत्था बोला ......अरे हम को क्या ........चल तू खैनी घिस !!
हम कौन से नेता है जो इन सब की फ़िक्र करें ...
ना मैं मंदिर जाता .....ना तू जावे मज्जिद !!
रात को बच्चे भूखे ना सोये .... 
अपनी 'उस' से बस इतनी प्रीत !! 
रहेमु बोला सही कहता है ....
ले थोड़ी खैनी तू भी घिस !!

20 टिप्‍पणियां:

  1. रहेमु और् नत्था को क्या फर्क पड़ता है ... उन्हें तो फुर्सत ही नहीं रोटी की चिंता से

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  2. शानदार
    मैं भी रहेमु और नत्था में से एक ही हूँ जी।
    ज्यादातर जनता क्या सोचती है इस विवाद पर आपने चार लाईनों में बता दिया।
    बहुत बढिया

    प्रणाम स्वीकार करें

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  3. बहुत अच्छा लिखा है आपने! कुछ अलग सा और शानदार पोस्ट रहा ये आपका!

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  4. आम आदमी घिसने और घिसाने के आलावा क्या कर सकता है

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  5. रहेमु और नत्था बडे स्याने हैं जी । बडिया पोस्ट।

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  6. मै यकीन के संग कह सकता हुं कि ९०% लोग वो चाहे हिंदु हो या मुस्लिम उन्हे इस बात से इस फ़ेसले से कोई मतलब नही, सब शंति चाहते है, आपस मे मेल मिलाप चाह्ते है, आप ने दो लाईनो मै सच्चाई लिख दी, धन्यवाद

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  7. कम शब्‍दों में बडी बात .. गजब का लिखा है!!

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  8. आज़ की सबसे समझदार वाली पोस्ट

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  9. बेचारे चैनी घिसने के इलावा ओर कर भी क्या सकते हैं.....

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  10. खैनी घिस !!..बस, और कर भी क्या सकते हैं.

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  11. बहुत ही बढ़िया... लिखा है.... हमें भी सिर्फ खैनी घिसने से ही मतलब है....

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  12. बिकुल सटीक ...रोटी की चिन्ता में कैसा मंदिर और कैसी मस्जिद

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  13. बात यहा तक ही रहे तो अच्छा है पर ये दोनो ही नेताओं के बहकाने पर मरने मारने पर उतारू हो जाएँगे ....

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  14. बहुते बढिया,


    चल बाबा - तू भी खैनी घीस

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  15. और क्या ..हमें राम रहीम से बस रोटी तक वास्ता.

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