पूरे दिन में हमारे साथ जो जो होता है उसका ही एक लेखा जोखा " बुरा भला " के नाम से आप सब के सामने लाने का प्रयास किया है | यह जरूरी नहीं जो हमारे साथ होता है वह सब " बुरा " हो, साथ साथ यह भी एक परम सत्य है कि सब " भला " भी नहीं होता | इस ब्लॉग में हमारी कोशिश यह होगी कि दिन भर के घटनाक्रम में से हम " बुरा " और " भला " छांट कर यहाँ पेश करे |
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शुक्रवार, 31 दिसंबर 2010
नव वर्ष २०११ की हार्दिक शुभकामनायें !!
इस रिश्ते को यूँही बनाये रखना,
दिल में यादो के चिराग जलाये रखना,
बहुत प्यारा सफ़र रहा 2010 का,
अपना साथ 2011 में भी बनाये रखना!
नव वर्ष की शुभकामनायें!
गुरुवार, 30 दिसंबर 2010
बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैय्या - आठ माह का गर्भ बिकाऊ है!
बुधवार, 29 दिसंबर 2010
अभी नहीं मिलेगी अनचाही कॉलों से राहत!
शनिवार, 25 दिसंबर 2010
सभी पीने वाले ब्लॉगर मित्र ... ज़रा ध्यान दें !!
शुक्रवार, 24 दिसंबर 2010
सभी को क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
शनिवार, 18 दिसंबर 2010
अमर शहीद राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खान के बलिदान दिवस पर विशेष
राम प्रसाद बिस्मिल |
अशफाक उल्ला खा |
गुरुवार, 16 दिसंबर 2010
विजय दिवस पर विशेष
बुधवार, 15 दिसंबर 2010
जश्न - ऐ - सरफरोशी !
देहरादून में शनिवार, 11 दिसंबर को आइएमए की पासिंग आउट परेड में पोते के अधिकारी बनने की खुशी दादी के चेहरे पर साफ छलकी। |
देहरादून में शनिवार, 11 दिसंबर को आइएमए की पासिंग आउट परेड में कैडेट्स ने अधिकारी बनने की खुशी कुछ यूं मनाई। |
रविवार, 12 दिसंबर 2010
५५० वी पोस्ट :- सांसद हमले की ९ वी बरसी पर संसद हमले के अमर शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि
शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010
सर्दियों में सावधानी रखें, बीमारी से बचें
शुक्रवार, 3 दिसंबर 2010
बीमा कराइए, बेफिक्र हो शादी रचाइए
देश में होने वाली खर्चीली और भव्य शादियों को सुरक्षित बनाने के लिए बजाज आलियांज और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ने इस बीमा योजना को बाजार में उतारा है। बजाज आलियांज ने 20 लाख, 35 लाख, 53 लाख और 83 लाख रुपये का विवाह बीमा पेश किया है। जिसका प्रीमियम क्रमशः 2850, 5200, 8600 और 11,200 रुपये तय किया गया है। कंपनी के मार्केटिंग प्रमुख अक्षय मेहरोत्रा ने बताया कि इस योजना को सिक्योर्ड वेडिंग प्लान के नाम से पेश किया गया है। इसमें शादी से जुड़ी किसी भी तरह की अनहोनी का सारा जिम्मा बीमा कंपनी उठाएगी।
उन्होंने बताया कि अगर किसी कारणवश शादी टल जाती है तो पहले से सुरक्षित किए गए आयोजन स्थल, खाना, पंडाल, बैंड बाजा व गाड़ी या ऐसी दूसरी व्यवस्थाओं में लगी रकम का पूरा भुगतान कंपनी करेगी। अमूमन प्रत्येक घर में शादी के दौरान नकद रुपये और जेवरात रखे होते हैं। बकौल मेहरोत्रा इनकी सुरक्षा का जिम्मा भी प्लान में सम्मिलित है। कुछ इसी तरह आईसीआईसीआई ने भी अपना प्लान निकाला है। दोनों कंपनियों के मुताबिक इस बीमा दावे का निपटारा सात से दस दिनों के अंदर किया जाएगा। जिससे आगामी तैयारी में अड़चन नहीं आए।
गुरुवार, 25 नवंबर 2010
२६/११ की बरसी पर विशेष - एक रि पोस्ट
बताओ करें तो करें क्या ...................??????
क्या सुरीला वो जहाँ था ,
हमारे हाथो में रंगीन गुब्बारे थे
और दिल में महेकता समां था ..........
वो खवाबो की थी दुनिया ..........
वो किताबो की थी दुनिया ..................
साँसों में थे मचलते ज़लज़ले और
आँखों में 'वो' सुहाना नशा था |
वो जमी थी , आसमां था ...........
हम खड़े थे ,
क्या पता था ???
हम खड़े थे जहाँ पर उसी के किनारे एक गहेरा सा 'अंधा कुआँ' था ..................
फ़िर 'वो' आए 'भीड़' बन कर ,
हाथो में थे 'उनके' खंज़र ................
बोले फैंको यह किताबे , और संभालो यह सलाखें !!!
यह जो गहेरा सा 'कुआँ' है ................
हाँ .... हाँ .... 'अंधा' तो नहीं है !!
इस 'कुएं' में है 'खजाना' ......
कल की दुनिया तो 'यही' है ....
कूद जाओ ले के खंज़र ......
काट डालो जो हो अन्दर ............
तुम ही कल के हो..............
'शिवाजी' ..........
'सिकंदर'................ ||
हम नहीं जानते यह भी कि क्यों 'यह' किया .............
अब बताओ करें तो करें क्या ???
नहीं है 'कोई' जो हमें कुछ बताएं ..............
बताओ करें तो करें ..............
'क्या' ??????
२६/११ के सभी अमर शहीदों को सभी मैनपुरी वासीयों की ओर से शत शत नमन !
मंगलवार, 23 नवंबर 2010
सेकेंडों में करें डाटा सिंक - अब आ गया है - एमकैट फ्लैश लिंक
शनिवार, 13 नवंबर 2010
बाल दिवस पर विशेष :- चाचा कलाम के बचपन की कहानी ... उनकी ही जुबानी !
शुक्रवार, 12 नवंबर 2010
मंगलवार, 9 नवंबर 2010
आलेख प्रतियो्गिता - आपका ध्यान कहाँ है - जल्दी भेजिए अपनी प्रविष्टि
आज पर्यावरण की हानि होने से ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्या से पूरी दुनिया को जुझना पड़ रहा है। जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान सामने आ रहे हैं। हम पर्यावरण की रक्षा करें एवं आने वाली पी्ढी के लिए स्वच्छ वातावरण का निर्माण करें। पर्यावरण के प्रति जागरुक करने के लिए हम एक प्रतियोगिता का आयोजन कर रहे हैं।प्रतियोगिता में सम्मिलित होने के लिए सूचना एवं नियम इस प्रकार है।
सोमवार, 8 नवंबर 2010
एक शुभ समाचार .....आ गया शेर !!!!!!!!
शनिवार, 6 नवंबर 2010
अलविदा ! वॉकमैन....
शुक्रवार, 5 नवंबर 2010
जहां बसे हैं भारतीय, वहां होती है दीप पर्व की रौनक
भारत के पड़ोसी हिमालई देश नेपाल में दीवाली को 'तिहार' या 'स्वान्ति' कहा जाता है। यहां अक्टूबर या नवंबर माह में यह पर्व पांच दिन तक मनाया जाता है और इसकी परंपराएं काफी हद तक वैसी ही हैं जैसी भारत में हैं। नेपाल में पांच दिन के तिहार में पहले दिन कौवे को दूत मानते हुए उसके लिए दाना खिलाया जाता है। दूसरे दिन कुत्ते की, वफादारी के लिए पूजा की जाती है। तीसरे दिन लक्ष्मी पूजा होती है। इस दिन गाय की भी पूजा की जाती है। यह नेपाली संवत का अंतिम दिन होता है इसलिए कारोबारी इसे खूब धूमधाम से मनाते हैं।
चौथे दिन नव वर्ष मनाया जाता है। इस दिन 'महा पूजा' होती है और ईश्वर से अच्छे स्वास्थ्य की कामना की जाती है। पांचवे दिन भाई टीका होता है, जिस दिन बहनें भाइयों की लंबी उम्र की कामन कर उसे टीका लगाती हैं।
मलेशिया में दीवाली को 'हरी दीवाली' कहा जाता है। वहां हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, साल के सातवें माह में दीवाली मनाई जाती है। इस दिन यहां सार्वजनिक अवकाश रहता है। यहां की परंपराए भी भारत जैसी ही होती हैं। सिंगापुर में परंपरागत भारतीय तरीके से 'दीपावली' मनाई जाती है। इस अवसर पर 'द हिन्दू एंडाउमेंट बोर्ड आफ सिंगापुर' सरकार के साथ मिल कर कई सांस्कृतिक आयोजन करता है।
श्रीलंका में तमिल समुदाय पूरे उत्साह से दीपावली मनाता है। सुबह सवेरे लोग स्नान कर लेते हैं। घरों के आगे रंगोली सजाई जाती है। शाम को घरों में रोशनी की जाती है और दिए जलाए जाते हैं। इसके बाद पूजा होती है और लोग एक दूसरे को मिठाई खिला कर शुभकामनाएं देते हैं। आतिशबाजी छोड़ी जाती है।
त्रिनिदाद और टोबैगो में भारतीय समुदाय के लोग दीवाली को उसी तरह मनाते हैं जिस तरह यह पर्व भारत में मनाया जाता है। न्यूजीलैंड में एशियाई मूल के लोग धूमधाम से दीवाली मनाते हैं। मुख्य आयोजन आकलैंड और वेलिंगटन में होता है। वर्ष 2003 से न्यूजीलैंड की संसद में दीवाली पर एक आधिकारिक समारोह आयोजित किया जाता है।
अमेरिका में भारतीय आबादी के बढ़ने के साथ ही दीवाली का महत्व भी बढ़ता गया। व्हाइट हाउस में पहली बार साल 2003 में दीवाली मनाई गई थी। वर्ष 2007 में कांग्रेस ने इसे आधिकारिक पर्व का दर्जा दे दिया। 2009 में व्हाइट हाउस में बराक ओबामा दीवाली में निजी तौर पर भाग लेने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बन गए।
वर्ष 2009 में भारत की तरह अमेरिका में भी काउबाय स्टेडियम में दीवाली मेला आयोजित किया गया था जिसमें करीब एक लाख लोग आए थे। इसी साल सैन अन्तोनिया आधिकारिक दीवाली महोत्सव का आयोजन करने वाला पहला अमेरिकी शहर बन गया।
आस्ट्रेलिया, कनाडा, फिजी, सूरीनाम, गुयाना, इंडोनेशिया, जापान, केन्या, मारिशस, म्यामां, दक्षिण अफ्रीका, तंजानिया, थाईलैंड आदि में भी भारतीय मूल के लोग धूमधाम से दीवाली मनाते हैं।
गुरुवार, 4 नवंबर 2010
दीपावली पर विशेष रि पोस्ट
शनिवार, 30 अक्टूबर 2010
पिता पर पूत .... सईस पर घोडा .... बहुत नहीं तो थोडा थोडा !!!
फिलहाल तो आप सब को दो चित्र दिखाने की ललक है .........लीजिये आप भी देखिये और अपनी अपनी राय दीजिये !
गुरुवार, 28 अक्टूबर 2010
महफूज़ भाई, जन्मदिन की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं |
मंगलवार, 26 अक्टूबर 2010
..और भी फिल्में हुई हैं 50 की...क्या आप जानते है ??
इन दिनों मुगलेआजम के प्रदर्शन की स्वर्णजयंती मनायी जा रही है। हर तरफ इस फिल्म की भव्यता, आकर्षण और महत्ता की चर्चा हो रही है, पर क्या आपको पता है कि वर्ष 1960 में मुगलेआजम के साथ-साथ कई और क्लासिक फिल्मों के प्रदर्शन ने हिंदी सिनेमा को समृद्ध बनाया था। बंबई का बाबू, चौदहवीं का चांद, छलिया, बरसात की रात, अनुराधा और काला बाजार जैसी फिल्मों ने मधुर संगीत और शानदार कथ्य से दर्शकों का दिल जीत लिया था। आज भी जब ये फिल्में टेलीविजन चैनलों पर दिखायी जाती हैं, तो दर्शक इन क्लासिक फिल्मों के मोहपाश में बंध से जाते हैं।
'छलिया मेरा नाम.हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सबको मेरा सलाम' इस गीत से बढ़कर सांप्रदायिक सौहार्द्र का संदेश क्या हो सकता है? एक साधारण इंसान के असाधारण सफर की कहानी बयां करती छलिया को राज कपूर, नूतन और प्राण ने अपने बेहतरीन अभिनय और मनमोहन देसाई ने सधे निर्देशन से यादगार फिल्मों में शुमार कर दिया।
प्रयोगशील सिनेमा की तरफ राज कपूर के झुकाव की एक और बानगी उसी वर्ष जिस देश में गंगा बहती है में दिखी। राज कपूर-पद्मिनी अभिनीत और राधु करमाकर निर्देशित इस फिल्म को उस वर्ष की सर्वश्रेष्ठ फिल्म के फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सर्वश्रेष्ठ संपादन और सर्वश्रेष्ठ कला निर्देशन का भी फिल्मफेयर पुरस्कार इस फिल्म को मिला। राज कपूर को उनके स्वाभाविक और संवेदनशील अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
राज कपूर के समकालीन अभिनेता देव आनंद की दो यादगार फिल्में बंबई का बाबू और काला बाजार भी इसी वर्ष प्रदर्शित हुई थीं। प्रेम, स्नेह और दोस्ती के धागे को मजबूत करती बंबई का बाबू में बंगाली फिल्मों की मशहूर अभिनेत्री सुचित्रा सेन ने अपने आकर्षण से हिंदी फिल्मी दर्शकों को भी मंत्रमुग्ध कर दिया। देव आनंद के साथ ने सुचित्रा सेन के आत्मविश्वास को और भी बढ़ा दिया। राज खोंसला निर्देशित बंबई का बाबू में दो प्रेमियों के वियोग की पीड़ा को बखूबी चित्रित किया गया था। विवाह के बाद विदाई की ड्योढ़ी पर खड़ी युवती के हाल-ए-दिल को बयां करते गीत 'चल री सजनी अब क्या सोचें' आज भी जब कानों में गूंजता है, तो आंखें भर जाती हैं। मजरूह सुल्तानपुरी के कलम से निकले गीतों को एस. डी. बर्मन ने अपनी मधुर धुनों में सजाकर बंबई का बाबू के संगीत को यादगार बना दिया। इस फिल्म में जहां देव आनंद ने पारंपरिक नायक की भूमिका निभायी वहीं, काला बाजार में वे एंटी हीरो की भूमिका में नजर आए। वहीदा रहमान और नंदा काला बाजार में देव आनंद की नायिकाएं थीं। सचिन देब बर्मन के संगीत से सजी काला बाजार के मधुर संगीत की बानगी 'खोया खोया चांद, खुला आसमान', 'अपनी तो हर सांस एक तूफान है', 'रिमझिम के तराने लेकर आयी बरसात' जैसे कर्णप्रिय गीतों में मिल जाती है।
वर्ष 1960 में जब देव आनंद का आकर्षण चरम पर था, तब गुरूदत्ता ने भी चौदहवीं का चांद में अपनी बोलती आंखों और गजब के अभिनय से दर्शकों को सम्मोहित किया था। 'चौदहवीं का चांद हो या आफताब हो' किसी प्रेमिका के लिए इससे बेहतर तारीफ के बोल क्या हो सकते हैं? वहीदा रहमान की खूबसूरती में डूबे गुरूदत्ता को देखने के लिए दर्शकों की बेचैनी को आज के युवा दर्शक भी समझ सकते हैं। निर्देशक मुहम्मद सादिक ने चौदहवीं का चांद की कहानी को लखनऊ की नवाबी शानौशौकत की पृष्ठभूमि में ढाल कर और भी यादगार बना दिया।
गुरूदत्ता यदि वहीदा रहमान के हुस्न के आगोश में खोए थे, तो दूसरी तरफ भारत भूषण भी उसी वर्ष प्रदर्शित हुई बरसात की रात में मधुबाला के साथ प्रेम-गीत गा रहे थे। जब सिल्वर स्क्रीन पर प्यार-मुहब्बत और जीवन के दु:ख-दर्द की कहानी कही जा रही थी, तभी रहस्य और रोमांच से भरपूर फिल्म प्रदर्शित हुई कानून। कानून के लिए बी। आर. चोपड़ा को उस वर्ष सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला था। वर्ष 1960 में प्रदर्शित हुई मुख्य धारा की यादगार फिल्मों में सबसे उल्लेखनीय है अनुराधा। सर्वश्रेष्ठ फिल्म के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित होने के साथ-साथ अनुराधा बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में गोल्डेन बियर अवार्ड के लिए भी नामांकित की गयी। लीला नायडू और बलराज साहनी अभिनीत यह फिल्म अपनी कलात्मकता के लिए आज भी याद की जाती है!
आलेख :- सौम्या अपराजिता
रविवार, 24 अक्टूबर 2010
मैं हर एक पल का शायर हूँ ...
मशहूर गीतकार साहिर लुधियानवी का जन्म ८ मार्च १९२१ को लुधियाना, पंजाब में एक मुस्लिम जमींदार परिवार में हुआ था। साहिर जी का पूरा व्यक्तित्व ही शायराना था। 25 साल की उम्र में उनकी पहली पुस्तक प्रकाशित हुई, जिसका शीर्षक था तल्खियां।
बतौर गीतकार उनकी पहली फिल्म थी बाजी, जिसका गीत तकदीर से बिगड़ी हुई तदबीर बना ले..बेहद लोकप्रिय हुआ। उन्होंने हमराज, वक्त, धूल का फूल, दाग, बहू बेगम, आदमी और इंसान, धुंध, प्यासा सहित अनेक फिल्मों के यादगार गीत लिखे। साहिर जी ने शादी नहीं की पर प्यार के एहसास को उन्होंने अपने नगमों में कुछ इस तरह पेश किया कि लोग झूम उठते। निराशा, दर्द, कुंठा, विसंगतियों और तल्खियों के बीच प्रेम, समर्पण, रूमानियत से भरी शायरी करने वाले साहिर लुधियानवी के लिखे नग्में दिल को छू जाते हैं। लिखे जाने के 50 साल बाद भी उनके गीत उतने ही जवां है जितने पहले थे,
ये वादियां से फिजाएं बुला रही हैं..
ना मुंह छुपा के जिओ और न सिर झुका के..
तुम अगर साथ देने का वादा करो, मैं यूं ही मस्त नग्में..
समाज के खोखलेपन को अपनी कड़वी शायरी के मार्फत लाने वाले इस विद्रोही शायर की जरा बानगी तो देखिए,
जिंदगी सिर्फ मोहब्बत ही नहीं कुछ और भी है
भूख और प्यास की मारी इस दुनिया में
इश्क ही एक हकीकत नहीं कुछ और भी है..
इन सब के बीच संघर्ष के लिए प्रेरित करता गीत,
जिंदगी भीख में नहीं मिलती
जिंदगी बढ़ के छीनी जाती है
अपना हक संगदिल जमाने में
छीन पाओ को कोई बात बने..
बेटी की बिदाई पर एक पिता के दर्द और दिल से दिए आशीर्वाद को उन्होंने कुछ इस तरह बयान किया,
समाज में आपसी भाईचारे और इंसानियत का संदेश उन्होंने अपने गीत में इस तरह पिरोया,
तू न हिंदू बनेगा न मुसलमान बनेगा
इंसान की औलाद है इंसान बनेगा ..(धूल का फूल)
साहिर जी को अनेक पुरस्कार मिले, पद्म श्री से उन्हें सम्मानित किया गया, पर उनकी असली पूंजी तो प्रशंसकों का प्यार था। अपने देश भारत से वह बेहद प्यार करते थे। इस भावना को उन्होंने कुछ इस तरह बयां किया....
ये देश है वीर जवानों का, अलबेलों का मस्तानों..
उनका निधन २५ अक्टूबर १९८० को हुआ था पर ऐसे महान शायर की स्मृतियां हमेशा रहेंगी अमर।
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- नव वर्ष २०११ की हार्दिक शुभकामनायें !!
- बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैय्या - आठ माह का गर्भ...
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- सभी को क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
- अमर शहीद राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खान के ...
- विजय दिवस पर विशेष
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- सर्दियों में सावधानी रखें, बीमारी से बचें
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