कहते हैं कि प्यार एक ऐसा अनमोल तोहफा है, जो जीवन को खुशियों से भर देता है। मगर वैज्ञानिकों का दावा है कि प्यार-व्यार कुछ नहीं होता, बस दिमाग में होने वाली एक रासायनिक क्रिया है।
वेलेंटाइन डे के मौके पर चीनी विशेषज्ञों ने पहली नजर के प्यार का राज खोला है। उनका दावा है कि यह दिमाग में कुछ रसायन और हार्मोन के मिलने से होने वाली रासायनिक क्रिया है। उनका कहना है कि प्यार का एक शानदार अहसास के अलावा कोई अस्तित्व नहीं है। आम तौर पर लोग मानते हैं कि खूबसूरत लड़की और हेंडसम लड़कों से अक्सर प्यार हो जाता है। किसी को किसी की आवाज भाती है, तो कोई आंखों पर फिदा हो जाता है, लेकिन वैज्ञानिकों का दावा है कि प्यार के लिए व्यक्ति की बाडी लेंग्वेज, बोलने का अंदाज और उसका स्पर्श ज्यादा मायने रखता है। इनके अलावा सबसे महत्वपूर्ण होते हैं फेरोमोन्स। शरीर में स्रावित होने वाले यह रसायन व्यक्ति के सामाजिक जीवन को प्रभावित करते हैं।
पेकिंग यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर माओ लिहुआ का कहना है कि जिसे हम प्यार मानते हैं, दरअसल वो हमारे दिमाग के अनुभव के अलावा कुछ नहीं है।
यूं होता है 'प्यार': -
किसी के प्रति आकर्षित होने पर जब तंत्रिका तंत्र के जरिए फेरोमोन्स दिमाग में पहुंचकर पियुष ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोन के स्रावण को बढ़ाते हैं। इससे दिल की धड़कन तेज होने के साथ सांसों की गति भी बढ़ जाती है। रक्त का संचार शरीर में तेजी से होने लगता है और आखिर में हथेली पसीजने के साथ ही प्यास लगने लगती है। व्यक्ति का दिमाग इसे प्यार मान बैठता है, जबकि असलियत में यह एक रसायनिक क्रिया है।
चलिए जाने दीजिये इनको ... आप बताएं ... आप क्या सोचते है ... क्या है प्यार -- एक अनोखा अहेसास या सिर्फ़ एक 'केमिकल लोचा' ??
कुल मिला कर "दीमागी फ़ितुर" है।
जवाब देंहटाएंचीनियों से पहले तो हमने बता दिया था। :)
प्यार में लोच तो होती है शिवम भाई
जवाब देंहटाएंहिन्दी ब्लॉगिंग का वेलेंटाइन डे है आज
केमिस्ट्री तो वैसे भी हमारा सब्जेक्ट है.. इसलिये अगर चीनी न भी कहें तो हम तो इसको केमिस्ट्री ही कहेंगे!!वैसे इसका सम्बंध दिमाग़ से नहीं लिवर से है... यह भी वैज्ञानिक तथ्य है!!
जवाब देंहटाएंआपने तो इस भावनात्मक संबंध की वैज्ञानिक व्याख्या कर डाली।
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा।
ज़ूलोजी का छात्र रहा हूं।
.... पर न जाने क्यों मन इसे केमिकल लोचा मानने से इंकार करता है, पर सच तो यही है।
केमिकल लोचा ही लग रहा है इस लेख को पढकर तो..
जवाब देंहटाएंअब मैं क्या बताऊँ?...मुझे तो हर चौथी लड़की से हो जाता है ..
जवाब देंहटाएं:-)
शिवम भाई ... लोचा तो सारा ऊपरवाले का है। ये केमिकल भी और प्रेम भी... शेष तो भौतिक जगत से जुडने का जरिया यही शरीर और पाँच ज्ञानेंद्रियाँ हैं। और सारे खेल इसी लेवल पर होते हैं।
जवाब देंहटाएंउम्दा जानकारी का आभार !
अरे बाबा यह रासायन मेरे दिमाग मे बहुत ही ज्यादा भरा पडा हे, ओर क्रिया भी खुब होती हे....सच ने यह कोई केमिकल लोचा ही हे...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद उस आवाज को बंद करने के लिये, बहुत तंग करती थी,आप उसे लगाओ जिस ने सुनाना हे खुद आन कर लेगा, फ़िर से धन्यवाद
लोचा ही होगा..ऐसा ही मान कर चलते हैं.
जवाब देंहटाएंहा हा, :-)
जवाब देंहटाएंसबसे ज़्यादा परेशानी तो चचा गालिब को होगी... बेचारे लेवल-२ के दिमागी मरीज़ हो गये।
अपनें केस में तो अब डील क्लोज़ कर चुके हैं.. तो लोचा ही मान लेनें में भलाई है :-)
अब विद्वान् लोग कह रहे हैं तो कुछ तो सच्चाई होगी ही.
जवाब देंहटाएंजिन्हें प्यार नहीं मिलता, वे इसे केमिकल लोचा मानते हैं और जिन्हें मिल जाता है, वे कुछ सोचने लायक ही नहीं बचते हैं।
जवाब देंहटाएं---------
अंतरिक्ष में वैलेंटाइन डे।
अंधविश्वास:महिलाएं बदनाम क्यों हैं?
बेशक, प्यार एक अनोखा एहसास है.... वैसे प्यार में लोचा तो होता है है.... अब केमिकल लोचा भी सामने आगया है.... :-) :-) :-)
जवाब देंहटाएंजो भी हो पर प्यार बहुत ही अमूल्य निधि है!
जवाब देंहटाएंक्या कहा जाए?
जवाब देंहटाएं'मिलिए रेखाओं के अप्रतिम जादूगर से '