राकेश शर्मा (अंग्रेज़ी:Rakesh
Sharma, जन्म:13 जनवरी, 1949 पटियाला, पंजाब) भारत के प्रथम अंतरिक्ष
यात्री हैं। उन्हें अंतरिक्ष यान में उड़ने और पृथ्वी का चक्कर लगाने का
अवसर 2 अप्रैल, 1984 में मिला था। वे विश्व के 138वें अंतरिक्ष
यात्री हैं। स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा ने लो ऑर्बिट में स्थित सोवियत
स्पेस स्टेशन की उड़ान भरी थी और सात दिन स्पेस स्टेशन पर बिताए थे। भारत
और सोवियत संघ की मित्रता के गवाह इस संयुक्त अंतरिक्ष मिशन के दौरान राकेश
शर्मा ने भारत और हिमालय क्षेत्र की फ़ोटोग्राफी भी की।
जन्म और शिक्षा
राकेश शर्मा का
जन्म 13 जनवरी, 1949 को पटियाला (पंजाब) में हिन्दू गौड़ परिवार में हुआ
था। उन्होंने अपनी सैनिक शिक्षा हैदराबाद में ली थी। वे पायलट बनना चाहते
थे। भारतीय वायुसेना द्वारा राकेश शर्मा टेस्ट पायलट भी चुन लिए गए थे,
लेकिन ऐसा शायद ही किसी ने सोचा होगा कि वे भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री
बनेंगे। 20 सितम्बर, 1982 को 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' (इसरो) ने
उन्हें सोवियत संघ (उस वक्त) की अंतरिक्ष एजेंसी इंटरकॉस्मोस के अभियान के
लिए चुन लिया|
अंतरिक्ष में उड़ान
इसके बाद उन्हें
सोवियत संघ के कज़ाकिस्तान में मौजदू बैकानूर में प्रशिक्षण के लिए भेज
दिया गया। उनके साथ रविश मल्होत्रा भी भेजे गए थे। 2 अप्रैल, 1984 का वह
ऐतिहासिक दिन था, जब सोवियत संघ के बैकानूर से सोयूज टी-11 अंतरिक्ष यान ने
तीन अंतरिक्ष यात्रियों के साथ उड़ान भरी। भारतीय मिशन की ओर से थे- राकेश
शर्मा, अंतरिक्ष यान के कमांडर थे वाई. वी. मालिशेव और फ़्लाइट इंजीनियर
जी. एम स्ट्रकोलॉफ़। सोयूज टी-11 ने तीनों यात्रियों को सोवियत रूस के
ऑबिटल स्टेशन सेल्यूत-7 में पहुँचा दिया था।
कार्यभार
सेल्यूत-7 में
रहते हुए राकेश शर्मा ने भारत की कई तस्वीरें उतारीं। अंतरिक्ष में
उन्होंने सात दिन रहकर 33 प्रयोग किए। भारहीनता से पैदा होने वाले असर से
निपटने के लिए राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष में अभ्यास किया। उनका काम रिमोट
सेंसिंग से भी जुड़ा था। इस दौरान तीनों अंतरिक्ष यात्रियों ने स्पेस
स्टेशन से मॉस्को और नई दिल्ली से साझा संवाददाता सम्मेलन को भी संबोधित
किया। यह ऐसा गौरवपूर्ण क्षण था, जिसे करोड़ों भारतवासियों ने अपने
टेलीविज़न सेट पर देखा और संजो लिया।
मिशन की समाप्ति
भारतवासियों के लिए वो गर्व का क्षण था जब
राकेश शर्मा के अन्तरिक्ष मे रहते हुये एक सीधे प्रसारण के दौरान
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पूछने पर कि अंतरिक्ष से भारत कैसा लगता है,
तब उन्होने ने कहा- 'सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा'।
विंग कमाडर के
पद से सेवानिवृत्त होने के बाद राकेश शर्मा 'हिन्दुस्तान एरोनेट्किस
लिमिटेड' में टेस्ट पायलट के तौर पर कार्य करते रहे। इसी समय वह पल भी आया
था, जब वे एक हादसे में बाल-बाल बच गए थे।
इसरो सदस्य
नवम्बर, 2006
में राकेश शर्मा 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' (इसरो) की समिति में भी
सदस्य रूप में शामिल थे। इस समिति ने नए भारतीय अंतरिक्ष उडा़न कार्यक्रम
को अनुमति दी थी। अब बेंगलुरु में रहने वाले राकेश शर्मा ऑटोमेटेड
वर्कफ़्लोर कम्पनी के बोर्ड चेयमैन की हैसियत से काम कर रहे हैं।
सम्मान
अंतरिक्ष मिशन
पूर्ण हो जाने के बाद भारत सरकार ने राकेश शर्मा और उनके दोनों अंतरिक्ष
साथियों को 'अशोक चक्र' से सम्मानित किया। अपनी सफल अन्तरिक्ष यात्रा से
वापस लौटने पर उन्हें "हीरो ऑफ़ सोवियत यूनियन" सम्मान से भी विभूषित किया
गया था।
आज राकेश शर्मा जी के ७० वें जन्मदिन के अवसर पर हम सब उनको अपनी हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करते हैं |
अविस्मरणीय पलों का संकलन । राकेश शर्मा जी जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँँ ।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं राकेश जी के लिये।
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