अनंत पई |
अनंत पई (17 सितम्बर 1929, कार्कल, कर्नाटक — 24 फरवरी 2011, मुंबई), जो अंकल पई के नाम से लोकप्रिय थे, भारतीय शिक्षाशास्री और कॉमिक्स, ख़ासकर अमर चित्र कथा
श्रृंखला, के रचयिता थे । इंडिया बुक हाउज़ प्रकाशकों के साथ 1967 में
शुरू की गई इस कॉमिक्स श्रृंखला के ज़रिए बच्चों को परंपरागत भारतीय लोक
कथाएँ, पौराणिक कहानियाँ और ऐतिहासिक पात्रों की जीवनियाँ बताई गईं । 1980
में टिंकल नामक बच्चों के लिए पत्रिका उन्होंने रंग रेखा फ़ीचर्स,
भारत का पहला कॉमिक और कार्टून सिंडिकेट, के नीचे शुरू की. 1998 तक यह
सिंडिकेट चला, जिसके वो आख़िर तक निदेशक रहे ।
दिल का दौरा पड़ने से 24 फरवरी 2011 को शाम के 5 बजे अनंत पई का निधन हो गया ।
आज अमर चित्र कथा सालाना लगभग तीस लाख कॉमिक किताबें बेचता है, न सिर्फ़
अंग्रेजी में बल्कि 20 से अधिक भारतीय भाषाओं में । 1967 में अपनी शुरुआत
से लेकर आज तक अमर चित्र कथा ने 10 करोड़ से भी ज़्यादा प्रतियाँ बेची हैं ।
2007 में अमर चित्र कथा ACK Media द्वारा ख़रीदा गया ।
शुरुआती ज़िन्दगी और शिक्षा
कर्नाटक के कार्कल शहर में जन्मे अनंत के
माता पिता का देहांत तभी हो गया था, जब वो महज दो साल के थे । वो 12 साल की
उम्र में मुंबई आ गए । मुंबई विश्वविद्यालय से दो डिग्री लेने वाले पई का
कॉमिक्स की तरफ़ रुझान शुरु से था लेकिन अमर चित्रकथा की कल्पना तब हुई, जब
वो टाइम्स ऑफ इंडिया के कॉमिक डिवीजन से जुड़े ।
'अमर चित्र कथा'
इण्डियन बुक हाउस
द्वारा प्रकाशित 'अमर चित्र कथा' 1967 से भारत का मनोरंजन करने के साथ
-साथ उसे नैतिकता सिखाती आई है. इन चित्र कथाओ को शुरू करने का श्रेय जाता
है श्री अनंत पई
जी को. राज कॉमिक्स के लिए काम कर चुके श्री दिलीप कदम जी और स्वर्गीय
श्री प्रताप मुलिक जी अमर चित्र कथा के लिए भी कला बना चुके है .
अमर चित्र कथा की मुख्य आधार होती थी लोक कथाएँ, इतिहास, पौराणिक कथाएँ,
महान हस्तियों की जीवनियाँ, किवदंतियां, आदि. इनका लगभग 20 भारतीय और 10
विदेशी भाषाओ मे अनुवाद हो चुका है. लगभग 3 दशको अमर चित्र कथा देश भर मे
छाई रही और अब भी इनकी प्रतियाँ प्रमुख पुस्तक की दुकानों पर मिल जायेंगी.
2007 मे ACK Media ने अमर चित्र कथा के अधिकार ले लिए और सितम्बर 2008 मे उन्होंने अमर चित्र कथा पर एक नई वेब साईट आरम्भ की.
भारतीय कॉमिक्स को लोकप्रिय और उनके
माध्यम से आम लोगो तक संदेश पहुँचाने वाली अमर चित्र कथा हमेशा यूँ ही अमर
रहेंगी ठीक जैसे अंकल पई अमर हो गए है !
आज उनकी ८६ वीं जयंती के अवसर पर हम सब उनको शत शत नमन करते है !
सुंदर विषय । नमन पई जी को ।
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