सदस्य

 

शनिवार, 15 दिसंबर 2012

वो कलम अब तलवार नहीं रही ...

"वो कलम अब तलवार नहीं रही ...
उस की लेखनी मे अब वो आग नहीं रही ...
जो कहते है मैंने कल क्रांति की थी ...
उनमे आज वो बात नहीं रही !"


- स्वरचित

4 टिप्‍पणियां:


  1. वो कलम अब तलवार नहीं रही ...
    उस की लेखनी मे अब वो आग नहीं रही ...
    जो कहते है मैंने कल क्रांति की थी ...
    उनमे आज वो बात नहीं रही !

    बहुत खूब !

    शिवम् मिश्रा जी
    वाऽह ! क्या बात है !

    शुभकामनाओं सहित…

    जवाब देंहटाएं
  2. कलम की धार कुंद हुई खतरे बढ़ जायेंगे . क्या पता पता जोश फिर आये क्रांतिवीर की कलम को।

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणियों की मुझे प्रतीक्षा रहती है,आप अपना अमूल्य समय मेरे लिए निकालते हैं। इसके लिए कृतज्ञता एवं धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।

ब्लॉग आर्काइव

Twitter