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बुधवार, 24 अक्टूबर 2012

आओ फिर दिल बहलाएँ ... आओ फिर दशहरा मनाएँ ...

आज ब्लॉग बुलेटिन पर पोस्ट लगाते हुये जब शीर्षक लिखने की बारी आई तो अपने आप ही एक लय मे कुछ शब्द मन मे आ गए ... आप भी देखिये और बतायें इनको क्या नाम दूँ !

"आओ फिर दिल बहलाएँ ... 
आज फिर रावण जलाएं ... 
आज फिर हम राम बन जाएँ ... 
कल फिर एक सीता हर लाएँ ... 
आओ फिर दिल बहलाएँ !"
आप सब को दशहरे की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !

6 टिप्‍पणियां:

आपकी टिप्पणियों की मुझे प्रतीक्षा रहती है,आप अपना अमूल्य समय मेरे लिए निकालते हैं। इसके लिए कृतज्ञता एवं धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।

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