२६ सितम्बर १९२३ - ०४ दिसम्बर २०११ |
मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया, हर फिक्र को धुंए में उड़ाता चला गया। जिस वक्त यह गाना लिखा गया और फिल्माया गया किसी ने नहीं सोचा था कि देव आनंद बालीवुड में इतनी लंबी पारी खेलेंगे जिसको दुनिया सलाम करेगी। 1946 से लगातार 2011 तक बालीवुड में सक्रिय रहने के बाद बालीवुड के इस अभिनेता ने लंदन में अंतिम सांस ली। 88 वर्ष की उम्र में देव साहब का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह लंदन इलाज के सिलसिले में गए हुए थे। 26 सितंबर 1923 में पंजाब के गुरदासपुर जिले में जन्मे देव साहब का फिल्मों से बहुत पुराना नाता रहा है। उनका हमेशा से ही रुझान फिल्मों की तरफ रहा। बालीवुड का रुख करने से पहले उन्होंने चालीस के दशक की शुरुआत में मुंबई में मिलिट्री सेंसर आफिस में काम किया। इसके बाद उन्होंने आल इंडिया रेडियो में भी काम किया था। लेकिन जब उन्होंने बालीवुड का रुख किया तो फिर कभी पलट कर नहीं देखा। देव आनंद बालीवुड के दूसरे ऐसे अभिनेता थे जिन्होंने शो-मैन राजकपूर के बाद अपने बैनर के तहत फिल्मों का निर्माण किया। अपने बैनर के तहत कुल 35 फिल्मों का निर्माण करने वाले देव आनंद ने जीनत अमान समेत कई दूसरी अभिनेत्रियों को बालीवुड के पर्दे पर लेकर आए थे। देव आनंद के संवाद बोलने का तरीका हो या उनके कपड़े पहने का अंदाज सभी लोगों के सर चढ़ कर बोलता था। देव साहब की शोहरत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि लोगों के काले कपड़े पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
देव साहब को आज भी फिल्म जगत में एक दिग्गज अभिनेता के रूप में जाना जाता है। आखिर तक उनके दिल और दिमाग से फिल्मों का जुनून कम नहीं होने पाया। एक फिल्म के निर्माण के दौरान ही वह दूसरी फिल्म की कहानी दिमाग में आने लगती थी। देव साहब के साथ उनके दोनों भाई चेतन आनंद और केतन आनंद का भी बालीवुड में काफी सक्रिय योगदान रहा। देव आनंद साहब के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने गुरू दत्ता साहब के साथ में एक समझौता किया था जिसके तहत यदि वह फिल्म का निर्माण करेंगे तो उसमें गुरू दत्ता अभिनय करेंगे और यदि वह फिल्म का निर्माण करेंगे तो गुरू दत्ता उसमें अभिनय करेंगे। गुरू दत्ता के अंतिम समय तक भी यह करार बरकरार था। अपने बैनर के तहत बनने वाली दूसरी फिल्म बाजी की सफलता ने उन्होंने पलट कर नहीं देखा। उनकी अदा के दीवाने खुद पूर्व प्रधानमंत्री पंडित नेहरू भी थे।
भारत सरकार ने उन्हें 2001 में पद्म विभूषण और 2002 में दादा साहब फालके पुरस्कार से उन्हें नवाजा था। मौजूदा समय में वह अपनी फिल्म चार्जशीट को लेकर चर्चा में थे।
लाहौर के गवर्नमेंट कालेज से इंग्लिश लिटरेचर से स्नातक करने वाले देव आनंद ने चालीस के दशक में मुंबई आकर मिलिट्री सेंसर आफिस में भी काम किया था। इसके बाद उन्होंने आल इंडिया रेडियो का रुख किया। 1941 में अपनी पहली फिल्म हम एक हैं से शुरुआत करने वाले देव आनंद ने प्रेम पुजारी, गाईड, हरे रामा हरे कृष्णा, बम्बई का बाबू, तेरे घर के सामने समेत अनेक सफल फिल्में दीं। आज उनके निधन से पूरा बालीवुड गमगीन है। उनके जाने से हिंदी सिनेमा में एक युग का अंत हो गया।
मैनपुरी के सभी सिने प्रेमियों की ओर से देव साहब को शत शत नमन और विनम्र श्रद्धांजलि !
एवरग्रीन हीरो देवानंद साहब को विनम्र श्रधांजलि । हिंदी फिल्म इतिहास में उनका नाम अमर रहेगा ।
जवाब देंहटाएंसिनेमा के एक युग की समाप्ति, विनम्र श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंमैं सच कहूँ तो गाईड देखने के बाद ही वो मेरे पसंदीदा अभिनेता बने थे, और इस फिल्म को देखने के बाद ही मैंने उनकी बाकी कई फिल्मों को देखा...
जवाब देंहटाएंश्रधांजलि
जाने कितने गाने जो देव साहब पर फ़िल्माये गये हमारे दिल की गहराई में बसे हैं ।
जवाब देंहटाएंश्रद्धांजली
उनको स्नेहिल श्रद्धांजलि ....
जवाब देंहटाएंबहुत साल वे हमारे दिलों में रहे हैं, उन्हें भुला पाना आसान नहीं होगा !
'ब्लॉग बुलेटिन' पर आपकी पोस्ट को हमने शामिल किया है देव साहब को एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि देने में - पधारें - और डालें एक नज़र - आज फ़िर जीनें की तमन्ना है...... देव साहब को भावपूर्ण श्रद्धांजलि.... ब्लॉग बुलेटिन
जवाब देंहटाएंफ़िल्मी दुनिया का यंगेस्ट स्टार चला गया!! (आज के अखबार की हेडलाइन)
जवाब देंहटाएंदेवानंद साहब को विनम्र श्रधांजलि ।
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति हेतु आपका आभार!
Very interesting, excellent post. Thanks for posting. I look forward to seeing more from you. Do you run any other sites?
जवाब देंहटाएंFrom Great talent
देवानंद जैसे कलाकार कोई दूजा न होगा! उनको विनम्र श्रद्धांजलि !
जवाब देंहटाएंमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
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