आज फेसबुक देखे ... साला सब शेर शेर कर के डरा रहा है हम को ...
तो लो भईया ... एक हम भी सुनते है ... शेर नहीं है ... अब इतनी महगाई में शेर कहाँ से लायें ... हम तो भईया सिर्फ़ अपने दिल की सुनते है और अपने शहर का हाल कुछ यूँ बताते है ...
तो जनाब अर्ज़ किया है कि ...
तो लो भईया ... एक हम भी सुनते है ... शेर नहीं है ... अब इतनी महगाई में शेर कहाँ से लायें ... हम तो भईया सिर्फ़ अपने दिल की सुनते है और अपने शहर का हाल कुछ यूँ बताते है ...
तो जनाब अर्ज़ किया है कि ...
यहाँ खुदा ... वहाँ खुदा ... कहाँ कहाँ नहीं खुदा ...
और जहाँ नहीं खुदा वहाँ कल खुदा होगा ...
क्यों कि मैनपुरी में सीवर लाइन का कार्य प्रगति पर है ...
जनता परेशान ... मिडिया चुप और अधिकारी ... दिन ओ रात तरक्की पर है ...
स्विस बैंक की जरुरत नहीं इनको ... आईसीआईसीआई से काम चलता है ...
५ बोरी सीमेंट में ५० बोरी बालू ... अरे बाबूजी इतना तो चलता है ...
'भारत निर्माण ' में यह लोग भी अपना योगदान लगा रहे है ...
जहाँ कहीं से भी आवाज़ उठे ...
हाल उसको दबा रहे है ...
वो अन्ना तो पागल है जो फिर अनशन पर बैठेगा ...
नगर पालिका के आगे देखो गांधी खुद कैद में दिखेगा ...
- शिवम् मिश्रा
( मैनपुरी नगर पालिका के आगे गाँधी की मूर्ति आजकल एक कांच के पिंजरे में है ... फिलहाल फोटो नहीं थी ... पर जल्द ही आपको फोटो भी दिखाऊंगा ... अभी तो जो मन में आया उसको लिख डाला )
कविता तो जबरदस्त बनी है....
जवाब देंहटाएंक्या भयंकर तुकबन्दी लगाई है भाई....
वैसे मायावती के राज में गांधी जी को शीस महल मिल गया.... चित्र जल्दी लगाईए....
बढिया व्यंग्य है।
जवाब देंहटाएंहा हा हा जोरदार कविता मारे।
जवाब देंहटाएंमस्त है।
ओह्ह !!! बहुत जोर से कविता आ रही थी लगता है.... एकदम से भरभरा के गुबार बाहर निकला है... लिखिए लिखिए खूब लिखिए....फोटुआ भी दिखाईएगा,...
जवाब देंहटाएंसारी 'खुदाई' एक तरफ और मैनपुरी वाले हमारे भाई एक तरफ!!
जवाब देंहटाएंसब कुछ खोद डाला है
जवाब देंहटाएंअब बारिश को भी रोकिए
चाहे खुदा को ही कुरेदिए
well said
जवाब देंहटाएंब्लॉग के रंगों में रंगी, कविता की तरंग।
जवाब देंहटाएंहमारे यहाँ भी यही बुरा हाल है हर तरफ खुदा है और बस उसकी खुदाई है |
जवाब देंहटाएंव्यंग्य मस्त है,
जवाब देंहटाएंअंदाज़ अलमस्त है,
बीच में आ गए बेचारे अण्णा
हर कोई वेबश है और अनमना
कविता अच्छी है
और सच्ची है !
बहुत ही बढ़िया, ज़बरदस्त और शानदार तरीके से व्यंग्य किया है आपने! लाजवाब प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंजे बात इसे कहते हैं धोबी पछाड ..सीधी नीचे से हाथ दे के उठा के पटक देना ...इसमें हमको तो खूब भला लगा आप जिसको जुतियाए हैं उनको बुरा लगा होगा ...भला-बुरा
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