आज कल चुनावी मौसम आया हुआ है अपने साथ "वादे" नाम का एक खयाली फल लाया हुआ है |
इस फल की एक खासियत, जो की इसको उगाने वाले बताते है, यह है की यह कभी भी खट्टा नहीं निकलता | वैसे आज तक हमने तो कभी भी एकदम मीठा "वादा" खाया नहीं ,थोड़ा बहुत खट्टा तो हर "वादा" निकला | इस बार के "वादे" हम ने अभी तक चखे नहीं है पर उम्मीद है की अबकी बार एक आध मीठा "वादा" तो खाने को मिलेगा !!!!
आगे जैसी हरी इच्छा !!!!!
पूरे दिन में हमारे साथ जो जो होता है उसका ही एक लेखा जोखा " बुरा भला " के नाम से आप सब के सामने लाने का प्रयास किया है | यह जरूरी नहीं जो हमारे साथ होता है वह सब " बुरा " हो, साथ साथ यह भी एक परम सत्य है कि सब " भला " भी नहीं होता | इस ब्लॉग में हमारी कोशिश यह होगी कि दिन भर के घटनाक्रम में से हम " बुरा " और " भला " छांट कर यहाँ पेश करे |
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