


Come lets salute all those brave souls who laied their lives at Jaaliyawala Bagh. May God bless their souls.
Thanks & Regards
Shivam Misra
90 / Chauthiyana,
Mainpuri-205001
U.P.
पूरे दिन में हमारे साथ जो जो होता है उसका ही एक लेखा जोखा " बुरा भला " के नाम से आप सब के सामने लाने का प्रयास किया है | यह जरूरी नहीं जो हमारे साथ होता है वह सब " बुरा " हो, साथ साथ यह भी एक परम सत्य है कि सब " भला " भी नहीं होता | इस ब्लॉग में हमारी कोशिश यह होगी कि दिन भर के घटनाक्रम में से हम " बुरा " और " भला " छांट कर यहाँ पेश करे |
सरफरोशी की तमन्ना
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाजू-ऐ-कातिल में है.
करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बात-चीत, देखता हूँ मैं जिसे वोह चुप तेरी महफिल में है.
ए शहीद-ऐ-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार, अब तेरी हिम्मत का चर्चा गैर की महफिल में है.
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है.
वक्त आने पे बता देंगे तुझे ए आसमान, हम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल में है.
खींच कर लाई है सब को क़त्ल होने की उम्मीद, आशिकों का आज जमघट कूचा-ऐ-कातिल में है.
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है.
है लिए हथियार दुश्मन ताक़ में बैठा उधर, और हम तैयार हैं सीना लिए अपना इधर.
खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है, सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है.
हाथ जिन में हो जूनून कट ते नही तलवार से, सर जो उठ जाते हैं वोह झुकते नही ललकार से.
और भड़केगा जो शोला-सा हमारे दिल में है, सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है.
हम तो घर से निकले ही थे बांधकर सर पे कफ़न, जा हथेली पर लिए लो बढ़ चले हैं ये क़दम.
जिंदगी तो अपनी मेहमान मौत की महफिल में है, सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है.
यूं खडा मकतल में कातिल कह रहा है बार बार, क्या तमन्ना-ऐ-शहादत भी किसी के दिल में है.
दिल में तूफानों की टोली और नसों में इन्किलाब, होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको न आज.
दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंजिल में है,
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है. देखना है ज़ोर कितना बाज़ुय कातिल में है ||
मैं मैनपुरी हूँ.....
कभी मुझे अपने उपर गुरुर था।
मेरे शहर के लोग बेहद ज़हीन और इल्म पसंद थे।
लोग एक दुसरे से मोहब्बत से मिलते थे.जबान और बयान मैं अंतर नही था।
दिलो मैं हर एक के लिए अदब था.हर और खुशी थी मासूमों के चेहरे पर खुदा का नूर था।
जेहन मैं इंसानियत थी.मैं रोशन थी.......मैं मैनपुरी थी......
आज मैं उदास हूँ मेरे शहर के लोग परेशान हैं।
सियासी नही है फ़िर भी हेरान हैं।
वक्त थम गया है लोग रुक गए हैं।
जेहन मैं नफरत है.मोहब्बत और खुलूस दिलो से दूर है जबान तल्ख है.
मैं मैनपुरी हूँ .....मुझे मोहब्बत पसंद है
कोई आए समझाए की मैं वो ही हूँ .....जहाँ हर दिल एक है....
बुजुर्गों का सरमाया ही यहाँ के लोगों के असली जागीर है.......
मैं मैनपुरी हूँ.....