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शुक्रवार, 4 दिसंबर 2020

लोंगेवाला की ऐतिहासिक जंग की ४९ वीं वर्षगांठ

 पाक ने लोंगेवाला चेकपोस्ट पर किया था अटैक

1971 में ये दिन भारत-पाक में छिड़ी पूरी जंग का आखिरी दिन था। 4 दिसंबर की रात को भारत पाकिस्तान के रहीमयार खान डिस्ट्रिक्ट क्वार्टर पर अटैक करने वाला था। किन्हीं वजहों से भारत अटैक नहीं कर पाया, पर बीपी 638 पिलर की तरफ से आगे बढ़ते हुए पाकिस्तान ने भारत की लोंगेवाला चेकपोस्ट पर अटैक कर दिया। यहां से उनका जैसलमेर जाने का प्लान था।
 
उस वक्त लोंगेवाला चेकपोस्ट पंजाब रेजीमेंट की 23वीं बटालियन के सिर्फ़ 90 जवानों की निगरानी में थी, और कमान थी मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी के हाथों में | कंपनी के 29 जवान और लेफ्टिनेंट धर्मवीर इंटरनेशनल बॉर्डर की पैट्रोलिंग पर थे। देर शाम उन्हें जानकारी मिली कि दुश्मन के बहुत सारे टैंक एक पूरी ब्रिगेड के साथ लोंगेवाला पोस्ट की तरफ बढ़ रहे हैं। उस ब्रिगेड में 2 हजार से ज्यादा जवान रहे होंगे। कुछ ही पलों बाद लश्कर का सामना भारत की सेना की छोटी सी टुकड़ी के साथ करना था। न जमीनी न हवाई किसी तरह की मदद उस दौरान मिलना संभव नहीं था।

भारतीय सेना के जवान मुंहतोड़ जवाब के लिए तैयारी में लग गए। कुछ ही देर बाद पाकिस्तानी टैंकों ने गोले बरसाते हुए भारतीय पोस्ट को घेर लिया। वे आगे बढ़ते जा रहे थे और उनके पीछे पाकिस्तानी सेना। भारतीय सेना ने जीप पर लगी रिकॉयललैस राइफल और 81एमएम मोर्टार से जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी। शुरुआती कार्रवाई इतनी दमदार थी कि पाकिस्तानी सेना ने कुछ दूरी पर रुककर जंग लड़ने का फैसला किया। पाकिस्तानी दो हज़ार से ज्यादा थे और भारतीय 100 से भी कम। वो रात इम्तिहान की रात थी। शैलिंग के थमते कुछ सुनाई दे रहा था तो गूंज रहे शब्द ‘जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल।’

पाकिस्तानी सेना के इरादे के मुताबिक वह चेकपोस्ट पर कब्जा कर रामगढ़ से होते हुए जैसलमेर तक जाना चाहते थे। पर भारतीय सेना के इरादे भी फौलादी थे, जो दीवार बन कर उनके समाने खड़े थे। रात होते होते  भारत की छोटी सी टुकड़ी ने दुश्मन के 12 टैंक तबाह कर दिए थे। रातभर गोलीबारी जारी थी और तड़के ही  भारतीय वायु सेना से भी मदद मिल गई। दो हंटर विमानों ने पाकिस्तानियों के परखच्चे उड़ा दिए। वे बौखलाए टैंक लेकर इधर-उधर दौड़ने लगे। सुबह के बाद तक हम पाकिस्तानी सेना को उन्हीं की हद में 8 किलोमीटर अंदर तक खदेड़ चुके थे। 
जैसलमेर एयरबेस पर उस वक्त सिर्फ 4 हंटर एयरक्राफ्ट और सेना के ऑब्जर्वेशन पोस्ट के दो विमान थे। हंटर एयरक्राफ्ट रात के अंधेरे में हमला नहीं कर सकते थे। अब इंतजार सुबह का था। अल सुबह ही 2 हंटर विमान लोंगेवाला की तरफ निकल पड़े। उस वक्त रोशनी इतनी कम थी कि आसमान की ऊंचाई से जमीं का अंदाजा लगा पाना मुश्किल था। तब न तो नेविगेशन सिस्टम इतना मॉडर्न था और न ही कोई लैंडमार्किंग थी।ऐसे में दोनों विमान जैसलमेर से लोंगेवाला तक जाने वाली सड़क के रास्ते को देखते हुए आगे बढ़े थे और धूल के गुबार में छिपे पाकिस्तानी टैंकों को निशाना बनाया था।
 
अगर  मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी का कुशल नेतृत्व और जवानों का रण कौशल न होता तो हमें यह दृश्य कभी न दिखते दुश्मन के टैंक पर चढ़ विजयी भारतीय जवान भांगड़ा कर रहे हैं | इसी बहादुरी के लिए मेजर (बाद में ब्रिगेडियर) चांदपुरी को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
 
 
जेपी दत्ता की फिल्म बॉर्डर लोंगेवाला की लड़ाई पर आधारित थी। इसमें सनी देओल ने ब्रिगेडियर चांदपुरी का रोल निभाया था। तब वे मेजर थे। लोंगेवाला में ब्रिगेडियर चांदपुरी ने करीब 120 जवानों की मदद से पाकिस्‍तान के 2000 सैनिकों और दुश्मन के 40 टैंकों को रोके रखा था और हरा दिया था।



इस ऐतिहासिक विजय की ४९ वीं वर्षगांठ के अवसर पर हम सब की ओर से पंजाब रेजीमेंट की 23 वीं बटालियन के उन 120 जवानों और ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी जी को शत शत नमन | 

जय हिन्द !!!

जय हिन्द की सेना !!!

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