पूरे दिन में हमारे साथ जो जो होता है उसका ही एक लेखा जोखा " बुरा भला " के नाम से आप सब के सामने लाने का प्रयास किया है | यह जरूरी नहीं जो हमारे साथ होता है वह सब " बुरा " हो, साथ साथ यह भी एक परम सत्य है कि सब " भला " भी नहीं होता | इस ब्लॉग में हमारी कोशिश यह होगी कि दिन भर के घटनाक्रम में से हम " बुरा " और " भला " छांट कर यहाँ पेश करे |
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नमन।
जवाब देंहटाएंनमन है अमर सैनानी को ...
जवाब देंहटाएंशहीद अशफाक़उल्ला (तख़ल्लुसः हसरत वारसी) की एक और नज़्म -
जवाब देंहटाएंजुनूने-हुब्बेवतन का मज़ा शबाब में है,
लहू में फिर ये रवानी रहे, रहे न रहे ।
वतन हमेशा रहे, शाद-काम और आज़्ााद,
हमारा क्या है, अगर हम रहे, रहे न रहे ।।
गरदन अब हाथ से अपने ही कटानी है हमें,
मादरे हिन्द पे ये भेंट चढ़ानी है हमें ।
किस तरह मरते हैं, असरारे वतन भारत पर,
सारे आलम को यही बात दिखानी है हमें ।।
बुज़दिलों को ही सदा मौत से डरते देखा,
गो कि सौ बार उन्हें रोज़ ही मरते देखा,
मौत से वीर को हमने नहीं डरते देखा,
तख़्त-ए-मौत पे भी खेल ही करते देखा ।।
शहीद अशफाक उल्ला खाँ जी को विनम्र श्रद्धांजलि
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