सुना था ... जिस लम्हा आप किसी अपने को हमेशा के लिए खो देते है ठीक उसी पल आपको एक नया भगवान मिल जाता है ... जिस का हाथ आपके सर पर हमेशा रहता है...
२ साल पहले आज ही के दिन ... मुझे मेरे भगवान मिले थे ... :(
पर ... वे तो हमेशा ही मेरे भगवान रहे थे ...
"आप के द्वारा 'शिव' को समर्पित मैं ,
आज स्वंय 'शिवम्' हुए जाता हूँ ;
आप के वियोग का हलाहल ,
अपने जीवन में धारण किए जाता हूँ ॥"
धैर्य जरूरी है। जीवन चक्र यही है। ईश्वर के पास बैठे लोग अपनों को देखते रहते हैं । नमन ।
जवाब देंहटाएंसादर नमन और श्रद्धांजलि!
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