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सोमवार, 15 जून 2015

जाने क्या है नेत्र शोथ या कंजंक्टिवाइटिस या आई फ्लू

आज सुबह जब सो कर उठे तो आँखों मे जलन थी और पलकें चिपकी हुई थीं ... आईने मे जब देखा तो आँखें लाल थी ... समझ गए कि हम 'आई फ्लू' के शिकार हो गए है !!

फ़िर ख़्याल आया कि क्यों न आज ब्लॉग पर इसी के बारे मे जानकारी दी जाये |

तो आइये जानते है क्या है ...यह नेत्र शोथ या कंजंक्टिवाइटिस या आई फ्लू !?

चित्र गूगल से साभार 
नेत्र शोथ (अंग्रेज़ी: Conjunctivitis या "Pink Eye" या "Madras Eye") जिसे 'पिंक आई' या 'कंजंक्टिवाइटिस' या 'आई फ्लू' भी कहा जाता है; आँख की बाहरी पर्त कंजंक्टिवा और पलक के अंदरूनी सतह के संक्रमण को कहते हैं। साधारण भाषा में इसे "आँख आना" भी कहते हैं। यह प्रायः एलर्जी या संक्रमण (सामान्यतः विषाणु किंतु यदा-कदा जीवाणु से) द्वारा होता है। यह संक्रमण अधिकांशतः मानवों में ही होता है, किंतु कहीं कहीं कुत्तों में भी पाया गया है। कंजंक्टिवाइटिस को बोलचाल की भाषा में आँख आना कहते हैं। इसकी वजह से आँखें लाल, सूजन युक्त, चिपचिपी [कीचड़युक्त] होने के साथ-साथ उसमें बाल जैसी चुभने की समस्याएं हो सकती हैं।

प्रकार

कंजंक्टिवाइटिस आमतौर पर तीन प्रकार की होती है:

बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस
दोनों आँखों से बहुत अधिक कीचड़ आना। आँखों से गाढ़ा पदार्थ निकलता रहता है। इसकी वजह से कई बार सोकर उठने पर पलकें एक साथ चिपक जाती हैं। इसमें डॉक्टरी सलाह से एंटीबायोटिक ड्रॉप्स या ऑइंटमेंट का इस्तेमाल करें।

वायरल कंजंक्टिवाइटिस
कीचड़युक्त पानी काम आना, एक आँख से पानी आना। आमतौर पर यह इन्फेक्शन पहले एक आँख में होता है, मगर आसानी से दूसरी आँख में भी फैल सकता है। गुनगुने या फिर नमक मिले पानी अथवा बोरिक एसिड पाउडर से दिन में कई बार आँखों को धोएं। डॉक्टरी सलाह लें।

एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस
दोनों आँखों से पानी आना, खुजली होना और लाली आना। यह आमतौर पर दोनों आँखों को प्रभावित करता है। वायरल कंजंक्टिवाइटिस में बताए उपायों पर अमल करें।

लक्षण
  • आँखों का सफेद भाग लाल हो जाना
  • आँखों में खुजली होना
  • आँख से पानी जैसा तरल पदार्थ निकलना

सावधानी और इलाज़ 
बैक्टीरियल और वायरल कंजंक्टिवाइटिस बहुत तेजी से फैलने वाला रोग है। यह परिवार और डॉक्टर की क्लिनिक में आए लोगों में बहुत तेजी से फैल सकता है। यदि आप या आपका बच्चा "आई इंफेक्शन" का शिकार हो गया है, तो परिवार के सभी सदस्य साफ सफाई पर खास तवज्जों दें। अच्छी तरह हाथ धोएं, रोगी के टॉवेल, रूमाल का इस्तेमाल न करें और तकिए का कवर रोजाना बदलें। धैर्य रखें, डॉक्टर के बताएं निर्देशों का पालन करें, कुछ दिनों में कंजंक्टिवाइटिस ठीक हो जाती है।

वायरल कंजंक्टिवाइटिस का कोई इलाज नहीं किया जाता है क्योंकि आमतौर पर एक हफ्ते में यह अपने आप ठीक हो जाता है। इसमें बोरिक एसिड से आँखों को धोना ठीक रहता है। एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस में नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लेमेट्री मेडिकेशन की जरूरत होती है और बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस में बैक्टीरियल आई ड्रॉप इस्तेमाल करने को कहा जाता है।
(जानकारी विकिपीडिया से साभार)

2 टिप्‍पणियां:

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