राजस्थान के झुंझुनूं जिले के लूणा गांव में 18 जुलाई 1927 को जन्में मेहदी
हसन का परिवार संगीतकारों का परिवार रहा है। मेहदी हसन के अनुसार कलावंत
घराने में वे उनसे पहले की 15 पीढ़ियां भी संगीत से ही जुड़ी हुई थीं।
संगीत की आरंभिक शिक्षा उन्होंने अपने पिता उस्ताद अजीम खान और चाचा उस्ताद
ईस्माइल खान से ली. दोनों ही ध्रुपद के अच्छे जानकार थे। भारत-पाक बंटवारे
के बाद उनका परिवार पाकिस्तान चला गया। वहां उन्होंने कुछ दिनों तक एक
साइकिल दुकान में काम की और बाद में मोटर मेकैनिक का भी काम उन्होंने किया।
लेकिन संगीत को लेकर जो जुनून उनके मन में था, वह कम नहीं हुआ।
कार्यक्षेत्र:
1957 से 1999 तक सक्रिय रहे मेहदी हसन ने गले के कैंसर के बाद पिछले 12 सालों से गाना लगभग छोड़ दिया था। उनकी अंतिम रिकार्डिंग 2010 में सरहदें नाम से आयी, जिसमें फ़रहत शहज़ाद की लिखी "तेरा मिलना बहुत अच्छा लगे है" की रिकार्डिंग उन्होंने 2009 में पाकिस्तान में की और उस ट्रेक को सुनकर 2010 में लता मंगेशकर ने अपनी रिकार्डिंग मुंबई में की. इस तरह यह युगल अलबम तैयार हुआ।
सम्मान और पुरस्कार:
भारत से नाता:
निधन के कुछ महीनों पहले से मेहदी हसन साहब का स्वास्थ्य और बिगड़ गया था तथा बोलने में भी दिक्कत होने लगी थी।
मेहदी हसन साहब की बिगड़ती हालत को देखकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक
गहलोत ने भारत में उनके मुफ्त इलाज की पेशकश की थी। मूल रूप से राजस्थान
के झूंझनू के रहने वाले मेहदी हसन साहब का परिवार विभाजन के समय पाकिस्तान
चला गया था ... पर इस से उनके भारत के प्रति प्रेम और सम्मान मे कोई कमी
नहीं आई ! भारत मे भी वो वही सम्मान और प्यार पाते थे जो उनको पाकिस्तान मे
मिलता था !
निधन:
निधन:
१३ जून २०१२ को मशहूर गजल गायक और पूरे विश्व मे शहंशा ए
ग़ज़ल के नाम से मशहूर मेहदी हसन साहब का कराची के एक अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। अपनी अनोखी गजल गायकी के सहारे
दुनिया भर के गजल प्रेमियों के दिलों पर राज करने वाले मेहदी हसन साहब लकवे से पीड़ित थे। इलाज के सिलसिले में वे एक बार भारत
भी आए थे।
स्वर्गीय मेहदी हसन साहब को हार्दिक श्रद्धांजलि |
श्रद्धा सुमन ।
जवाब देंहटाएंस्वर्गीय मेहदी हसन साहब को हार्दिक श्रद्धांजलि |
जवाब देंहटाएंहार्दिक श्रद्धांजलि |
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