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शनिवार, 31 मई 2014

विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर एक लघु कथा

विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर एक लघु कथा
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जिला पुस्तकालय में विश्व तम्बाकू निषेध दिवस की संगोष्ठी में लम्बा भाषण देने के बाद जब ठाकुर साहब मंच से नीचे आये तो चौबे बैठे दिख गए ... झट लपक लिए उनकी ओर और तपाक से बोले ... "बोलत बोलत मौह थक गओ ... चौबे जी नेक सी कपूरी दियो ।"

3 टिप्‍पणियां:

  1. :-)
    औरों को नसीहत खुद मियां फजीहत !!

    अनु

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  2. जय हो , असल में इन दिवसों को मनाए जाने की औपचारिकता के पीछे अक्सर कोई ऐसा ही सच निकल कर सामने आता है , सीख देती लघुकथा

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  3. मराठी में भी इसके लिये एक कहावत है, लोका सांगे ब्रम्हज्ञान, स्वतः कोरडे पाषाण। अर्थ अनु जी की कहावत वाला ही।

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