उसे यह फ़िक्र है हरदम,
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- नया तर्जे-जफ़ा क्या है?
हमें यह शौक देखें,
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- सितम की इंतहा क्या है?
दहर से क्यों खफ़ा रहे,
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- चर्ख का क्यों गिला करें,
सारा जहाँ अदू सही,
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- आओ मुकाबला करें।
कोई दम का मेहमान हूँ,
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- ए-अहले-महफ़िल,
चरागे सहर हूँ,
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- बुझा चाहता हूँ।
मेरी हवाओं में रहेगी,
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- ख़यालों की बिजली,
यह मुश्त-ए-ख़ाक है फ़ानी,
रहे रहे न रहे।
शत शत नमन!
जवाब देंहटाएंभगतसिंह को शत शत नमन
जवाब देंहटाएंभगतसिंह को शत शत नमन !
जवाब देंहटाएंशहीद - ए - आज़म को शत शत नमन।।
जवाब देंहटाएंइन्कलाब जिंदाबाद ...
जवाब देंहटाएंशत शत नमन आज़ादी के दीवाने को ...