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शुक्रवार, 16 मार्च 2012

आज मैं खौफजदा हूँ !

यादों की गालियों मे अक्सर अंधेरा होता है ... 

और सुना है कि ...

अंधेरे और खौफ का चोली दामन का साथ होता है ... 

शायद इस लिए ही आज मैं खौफजदा हूँ !

6 टिप्‍पणियां:

  1. अँधेरा सदा से भय का प्रतीक रहा है।

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  2. अँधेरा जब बहुत गहन हो ,समझ जाएँ उजाला होने ही वाला है ...!!

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  3. अँधेरे और उजाले में सिर्फ मात्रा का अंतर है.. वैसे ही डर के आगे जीत है!!!

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  4. नयी रौशनी का लाना होगा ... सबको प्रयास करना होगा ...

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  5. अँधेरे को मिटाने के लिए के दिया तो जलाएंगे, सुबह होने का इंतज़ार है फिर खुशिया तो मनाएंगे ......

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आपकी टिप्पणियों की मुझे प्रतीक्षा रहती है,आप अपना अमूल्य समय मेरे लिए निकालते हैं। इसके लिए कृतज्ञता एवं धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।

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