चैनल शुरू हुआ.लोगों ने कहा सत्यम १ महीने बाद बंद हो जायेगा.सत्यम ने एक महीना पूरा किया.फिर लोगों ने कहा ये तीन महीना तक और चलेगा.सत्यम ने तीन माह भी पुरे कर लिया.आज उन चंद लोगों के मुह सत्यम कि तारीफ करते नहीं थकते.जो कल तक इसके बंद होने की भविष्यवाणी करते थे.चैनल सुबोध.अजय.आशीष.आकांक्षा.नेहा.विशाल.चेतन.बोबी.प्रगति.रामपाल और गौरव की महनत से कीर्तमान रचने लगा था.तीन साल में सत्यम जनता के दिल पर छा गया.सत्यम इन तीन सालों में मैनपुरी की जनता के सुख दुःख का साथी बन गया.सत्यम ने सरकार की कल्याणकारी योजनायों की जानकारी दे कर जनता को जागरूक बनाया.युवाओं को एक नयी सोच दी.विकास पत्रकारिता मे सत्यम तीन सालों में रोल मॉडल बन गया.इसकी लोकप्रियता देश से बहार फैलने लगी.सत्यम को मैनपुरी की जनता अपना चैनल मानती है.तकनीकी और संसाधनों की कमी हमेशा सत्यम में बनी रही लेकिन जनता ने हमेसा इसको नज़रंदाज़ ही किया.ये जनता का मेरे उपर अहसान से कम नहीं है.इसी लिए में अक्सर इसे जनता का चैनल कहता हूँ.आपने स्टाफ को भी में यही कहता हूँ कि आप जनता को माँ-बाप मन कर काम करें.मेरे स्टाफ ने ऐसा किया भी.इसके लिए में अपने स्टाफ का भी शुक्रगुज़ार हूँ. सत्यम के प्रसारण को कई बार कुछ लोगों ने रोकने की कोशिश की ये वो लोग थे जो में मैनपुरी को तरक्की करते नहीं देखना चाहते थे.वे नहीं चाहते थे की मैनपुरी की जनता जागरूक बने.लेकिन ऐसे लोग बहुत कम थे.उनके इरादों में खोट थी सो वे सफल नहीं हो सके.सत्यम जनता की आवाज़ को लेकर बढता जा रहा है.मेरे दोस्त शिवम् ने मुझे काफी होसला दिया.प्रोत्साहित किया.जब सत्यम लोकप्रिय होने लगा तो लोगों ने कहा ''आप मैनपुरी में अपना करियर खत्म कर रहे हो''में सुनता रहता...तरह के सवाल अब मेरी दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बन चुके हैं. क्या अच्छी पढ़ाई करने वालों को आपने घर में काम नही करना चाहिए? क्या सबसे ज्यादा मेरी जरुरत दिल्ली या बढे शहरों में है ?आई आई एम् सी से पत्रकरिता की डिग्री लेने के बाद क्या बड़े मीडिया हाउस में ही काम करना चाहिए? मैंने कभी इस बात की फरवाह नही की.मैनपुरी से कई नामी और काबिल हस्तियों के नाम जुड़े हैं अगर वे मैनपुरी की लिए थोड़ा भी करते तो आज मैनपुरी पिछड़ी न होती.में बस इतना जनता हूँ की मैनपुरी का पिछले जन्म का कोई ऋण है जो इस जन्म में पत्रकारिता के जरिये चुका रहा हूँ और मुझे इसमें बेहद खुशी है.क्यों कि मुझे ये मोका नसीब हुआ है.
सीने में छुपाई जाती है
तोहीद की मय सागर से नहीं
आखों से पिलाई जाती है !!