डॉ० श्यामाप्रसाद मुखर्जी (जन्म: 6 जुलाई, 1901 - मृत्यु: 23 जून, 1953) महान शिक्षाविद्, चिन्तक और भारतीय जनसंघ
के संस्थापक थे। एक प्रखर राष्ट्रवादी के रूप में भारतवर्ष की जनता उन्हें
स्मरण करती है। एक कट्टर राष्ट्र भक्त के रूप में उनकी मिसाल दी जाती है। भारतीय इतिहास
उन्हें एक जुझारू कर्मठ विचारक और चिन्तक के रूप में स्वीकार करता है।
भारतवर्ष के लाखों लोगों के मन में एक निरभिमानी देशभक्त की उनकी गहरी छबि
अंकित है। वे आज भी बुद्धिजीवियों और मनीषियों के आदर्श हैं। वे लाखों
भारतवासियों के मन में एक पथप्रदर्शक एवं प्रेरणापुंज के रूप में आज भी
समाये हुए हैं।
राजनीति में प्रवेश से पूर्व देश सेवा
के प्रति उनकी आसक्ति की झलक उनकी डायरी में 07 जनवरी, 1939 को उनके द्वारा
लिखे गये निम्न उद्गारों से मिलती है :
- हे प्रभु! मुझे निष्ठा, साहस, शक्ति और मन की शान्ति दीजिए,
- मुझे दूसरों का भला करने की हिम्मत और दृढ़ संकल्प दीजिए,
- मुझे अपना आशीर्वाद दीजिए कि मैं सुख में भी और दुख में भी,
- आपको याद करता रहूँ और आपके स्नेह में पलता रहूँ।
- हे प्रभु! मुझसे हुई गलतियों के लिये क्षमा कीजिए और मुझे सद्प्रेरणा देते रहिए।
आज स्व॰ डॉ० श्यामाप्रसाद मुखर्जी जी की ६२ वीं पुण्यतिथि के अवसर पर हम उन्हें शत शत नमन करते है |
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, जीना सब को नहीं आता - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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