फील्ड मार्शल कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा |
सैनिक....
आखिर एक सैनिक की क्या पहचान है। देश के लिए मर मिटनें का जज्बा लिए एक
वीर सैनिक जब देश पर शहीद होनें निकल पडता है तो फ़िर उस समय न वह देश में
फ़ैले भ्रष्टाचार के बारे में सोचता है और न ही किसी राजनीतिक नफ़े नुकसान
का आंकलन ही करता है। अब साहब हैरानी तब होती है जब अपनें समाज के ही कुछ
"बुद्धिजीवी" अपनी ही सेना पर ही व्यंग्य कस देते है वह भी ऐसा जिसके बारे
में सोच कर भी हैरानी होती है । अजी जनाब सेना क्या करती है जानना है तो
फ़िर ज़रा समाचार पत्र पर नज़र डालिए...
अगर
प्रिंस खड्डे में गिरे तो निकालनें के लिए सेना, मुम्बई में बाढ आ जाए तो
सेना, कोई भी आपदा आए तो सेना, अजी अगर नेताओं की सुरक्षा हो तो सेना, अगर
कहीं जाना हो तो सेना, अगर आपकी तीर्थ यात्रा हो तो सेना, आपकी ट्रेन फ़ंसे
तो सेना और आपके पुल टूटे तो सेना.. जब सरकारी ठेकेदार कामनवेल्थ का ब्रिज
गिरा दे तब उसे चौबीस घंटे में खडा करे सेना.. अजी
जनाब सेना से आप कुछ भी करा लीजिए आज तक सेना नें मना किया है? तो फ़िर
ऐसे में नेताओं की तरह सेना पर बयान बाज़ी से बचिए... ज़िम्मेदारी का परिचय
दीजिए और सेना की कद्र कीजिए।
आज ७३ वें सेना दिवस के मौके पर डा ॰ हरिवंशराय बच्चन की कविता यहाँ सांझा कर रहा हूँ !
चल मरदाने, सीना ताने,
हाथ हिलाते, पांव बढाते,
मन मुस्काते, गाते गीत ।
हाथ हिलाते, पांव बढाते,
मन मुस्काते, गाते गीत ।
एक हमारा देश, हमारा वेश,
हमारी कौम, हमारी मंज़िल,
हम किससे भयभीत ।
हम भारत की अमर जवानी,
सागर की लहरें लासानी,
गंग-जमुन के निर्मल पानी,
हिमगिरि की ऊंची पेशानी
सबके प्रेरक, रक्षक, मीत ।
जग के पथ पर जो न रुकेगा,
जो न झुकेगा, जो न मुडेगा,
उसका जीवन, उसकी जीत ।
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