आज २९ मार्च है ... आज ही के दिन सन १८५७ के प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रदूत मंगल पाण्डेय ने विद्रोह की शुरुआत की थी |
जब गाय व सुअर कि चर्बी लगे कारतूस इस्तमाल मे लेने का आदेश हुआ तब बैरकपुर
छावनी में बंगाल नेटिव इन्फैण्ट्री की ३४वीं रेजीमेण्ट में सिपाही मंगल
पाण्डेय ने मना करते हुए विरोध जताया इसके परिणाम स्वरूप उनके हथियार छीन
लिये जाने व वर्दी उतार लेने का फौजी हुक्म हुआ।
मंगल पाण्डेय ने उस आदेश को मानने से इनकार कर दिया और २९ मार्च सन् १८५७
को उनकी राइफल छीनने के लिये आगे बढे अंग्रेज अफसर मेजर ह्यूसन पर आक्रमण
कर दिया। आक्रमण करने से पूर्व उन्होंने अपने अन्य साथियों से उनका साथ
देने का आह्वान भी किया था किन्तु कोर्ट मार्शल के डर से जब किसी ने भी
उनका साथ नहीं दिया तो उन्होंने अपनी ही रायफल से उस अंग्रेज अधिकारी मेजर
ह्यूसन को मौत के घाट उतार दिया जो उनकी वर्दी उतारने और रायफल छीनने को
आगे आया था।
इसके बाद मंगल पाण्डेय को अंग्रेज सिपाहियों ने पकड लिया। उन पर कोर्ट
मार्शल द्वारा मुकदमा चलाकर ६ अप्रैल १८५७ को मौत की सजा सुना दी गयी।
कोर्ट मार्शल के अनुसार उन्हें १८ अप्रैल १८५७ को फाँसी दी जानी थी, परन्तु
इस निर्णय की प्रतिक्रिया कहीं विकराल रूप न ले ले, इसी कूट रणनीति के तहत
क्रूर ब्रिटिश सरकार ने मंगल पाण्डेय को निर्धारित तिथि से दस दिन पूर्व
ही ८ अप्रैल सन् १८५७ को फाँसी पर लटका कर मार डाला।
भारत के प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के इस अग्रदूत अमर शहीद मंगल पाण्डेय जी को हम सब शत शत नमन करते है !!
अमर शहीद मंगल पाण्डेय जी को नमन|
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 29/03/2019 की बुलेटिन, " ईश्वर, मनुष्य, जन्म, मृत्यु और मोबाइल लगी हुई सेल्फ़ी स्टिक “ , में इस पोस्ट को भी शामिल किया गया है|
जवाब देंहटाएंमंगल पांडे की शहादत याद करते समय हमको इस बात को भूलना नहीं चाहिए कि 10 मई, 1857 को समस्त भारत में एक साथ अंग्रेज़ों के अनेक ठिकानों पर अप्रत्याशित आक्रमण करने की योजना बनाई गयी थी लेकिन मंगल पांडे द्वारा 29 मार्च, 1857 को ही अंग्रेज़ अधिकारियों की हत्या करने से अंग्रेज़ों को इस बात का संकेत मिल गया कि भारतीयों में उनके प्रति बहुत आक्रोश है. इस प्रकार मंगल पांडे की जल्दबाज़ी के कारण हमारे स्वतंत्रता संग्राम का सरप्राइज़ एलीमेंट कमज़ोर पड़ गया और अंग्रेज़ों को सँभलने का अवसर मिल गया.
जवाब देंहटाएंमंगल पांडे जी की शहादत वाले दिन उनपर सामायिक लेख प्रशंसनीय है ।
जवाब देंहटाएंकोई भी क्रांति पुरी प्लानिंग से न की जाय तो कमजोर हो जाती है हुक्मरानों के हाथ कुचल दी जाती है।
पर मंगल पांडे जी के सामने परिस्थिति जन्य जो दृश्य उत्पन्न हुवा वहां अपने आत्म सम्मान को बचाने के लिए इस से ज्यादा हो ही नही सकता था ।उस घटना से भारतियों के मन में अग्रेजी सरकार से नफरत और बढ़ी साथ ही आत्म गौरव का पाठ मिला और सचमुच उसके बाद आजादी का ज़ज्बा मन में दृढ़ होता गया भारतवासीयों के दिल में।
अमर शहीद मंगल पांडे को नमन। मंगल पांडे को याद करने के लिए आपको बधाई।
जवाब देंहटाएंआप के लेख सदैव प्रेरक होते हैं । बहुत बहुत आभार इस लेख के लिए ।
जवाब देंहटाएं