आज २७ अप्रैल है ... आज का दिन समर्पित है बॉलीवुड के दो दिग्गजों को ... एक की आज जयंती है तो एक की पुण्यतिथि |
आइये , जानते है उन के बारे में ...
आज प्रसिद्ध नृत्यांगना और अपने जमाने की मशहूर अभिनेत्री स्व॰ जोहरा सहगल जी की १०६ वीं जयंती है |
जोहरा का असली नाम साहिबजादी जोहरा बेगम मुमताजुल्ला खान है। उनका जन्म 27 अप्रैल, 1912 को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के रोहिल्ला पठान परिवार में हुआ। वह मुमताजुल्ला खान और नातीक बेगम की सात में से तीसरी संतान हैं। हालांकि जोहरा का पालन-पोषण सुन्नी मुस्लिम परंपराओं में हुआ, लेकिन वह बचपन से ही विद्रोह मानसिकता की थीं।
आइये , जानते है उन के बारे में ...
आज प्रसिद्ध नृत्यांगना और अपने जमाने की मशहूर अभिनेत्री स्व॰ जोहरा सहगल जी की १०६ वीं जयंती है |
जोहरा का असली नाम साहिबजादी जोहरा बेगम मुमताजुल्ला खान है। उनका जन्म 27 अप्रैल, 1912 को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के रोहिल्ला पठान परिवार में हुआ। वह मुमताजुल्ला खान और नातीक बेगम की सात में से तीसरी संतान हैं। हालांकि जोहरा का पालन-पोषण सुन्नी मुस्लिम परंपराओं में हुआ, लेकिन वह बचपन से ही विद्रोह मानसिकता की थीं।
लाहौर से स्कूली शिक्षा और स्नातक करने के बाद जोहरा अपने मामा के साथ जर्मनी चली गई। वहां उन्होंने खुद को बुर्के से आजाद कर लिया और संगीत की शिक्षा ली। वर्ष 1935 में जोहरा जाने-माने नर्तक उदय शंकर से मिलीं और उनके डांस ग्रुप का हिस्सा बन कर पूरी दुनिया घूमीं।
1940 में अल्मोड़ा स्थित शंकर के स्कूल में नृत्य की शिक्षा देने के साथ ही उनकी मुलाकात कामेश्वर से हुई, जिनसे जोहरा ने 1942 में शादी की। फिर उन्होंने मुंबई आकर पृथ्वी थियेटर में नृत्य निर्देशक के रूप में काम करना शुरू किया, जहां वह अपनी सख्त मिजाजी के लिए जानी जाती थीं। यहीं से उनका फिल्मों का सफर भी शुरू हो गया। बॉलीवुड की सुपरहिट फिल्म हम दिल दे चुके सनम, कभी खुशी कभी कम, चीनी कम जैसे कई फिल्मों में काम किया।
फिल्मी सफर की दास्तान
-वर्ष 1945 में पृथ्वी थियेटर में 400 रुपये मासिक वेतन पर काम शुरू किया। इसी दौरान इप्टा ग्रुप में शामिल हुई।
फिल्मी सफर की दास्तान
-वर्ष 1945 में पृथ्वी थियेटर में 400 रुपये मासिक वेतन पर काम शुरू किया। इसी दौरान इप्टा ग्रुप में शामिल हुई।
-वर्ष 1946 में ख्वाजा अहमद अब्बास के निर्देशन में धरती के लाल और चेतन आनंद की फिल्म नीचा सागर में काम किया।
-धरती के लाल भारत की पहली फिल्म थी, जिसे कान फिल्म समारोह में गोल्डन पाम पुरस्कार मिला।
-मुंबई में जोहरा ने इब्राहीम अल्काजी के प्रसिद्ध नाटक दिन के अंधेरे में बेगम कुदसिया की भूमिका निभाई।
-गुरुदत्त की वर्ष 1951 में आई फिल्म बाजी तथा राजकपूर की फिल्म आवारा के प्रसिद्ध स्वप्न गीत की कोरियोग्राफी भी की।
-1964 में बीबीसी पर रुडयार्ड किपलिंग की कहानी में काम करने के साथ ही 1976-77 में बीबीसी की टेलीविजन श्रृंखला पड़ोसी नेबर्स की 26 कडि़यों में प्रस्तोता की भूमिका निभाई।
-धरती के लाल भारत की पहली फिल्म थी, जिसे कान फिल्म समारोह में गोल्डन पाम पुरस्कार मिला।
-मुंबई में जोहरा ने इब्राहीम अल्काजी के प्रसिद्ध नाटक दिन के अंधेरे में बेगम कुदसिया की भूमिका निभाई।
-गुरुदत्त की वर्ष 1951 में आई फिल्म बाजी तथा राजकपूर की फिल्म आवारा के प्रसिद्ध स्वप्न गीत की कोरियोग्राफी भी की।
-1964 में बीबीसी पर रुडयार्ड किपलिंग की कहानी में काम करने के साथ ही 1976-77 में बीबीसी की टेलीविजन श्रृंखला पड़ोसी नेबर्स की 26 कडि़यों में प्रस्तोता की भूमिका निभाई।
सन १९४६ से ले कर सन २००७ तक ज़ोहरा जी विभिन्न हिन्दी और अँग्रेजी फिल्मों और सीरियलों में सक्रियता से अपने अभिनय के जौहर दिखती रहीं |
हर दिल अज़ीज और अपनी ज़िंदादिली के लिए मशहूर ज़ोहरा सहगल जी को हमारी हार्दिक श्रद्धांजलि और शत शत नमन |
पिछले साल आज ही के दिन मुंबई के अस्पताल में भर्ती दिग्गज अभिनेता विनोद खन्ना का निधन हो गया था . वह पिछले कुछ समय से कैंसर से जूझ रहे थे. विनोद खन्ना का 70 साल की उम्र में निधन हुआ . फिल्मों से लेकर राजनीति, विनोद खन्ना काफी सक्रिय रहे थे. विनोद खन्ना का मुंबई के एचएन रिलायंस अस्पताल में इलाज चल रहा था. निधन से पूर्व के दिनों में ही उनकी एक फोटो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी, जिसके बाद उनके बेटे ने कहा था कि उनक तबियत अभी ठीक है. विनोद खन्ना भारतीय फिल्मों के दिग्गज अभिनेता रहे थे .
70 और 80 के दशक के सुपरस्टार रहे विनोद खन्ना, वह सितारे थे जिन्होंने एक विलेन के तौर पर अपनी शुरुआत की. उन्होंने 1968 में सुनील दत्त के साथ फिल्म 'मन का मीत' से अपनी फिल्मी सफर की शुरुआत की थी. उन्होंने 'पूरब और पश्चिम', 'मेरा गांव मेरा देश' जैसी कई फिल्मों में नकारात्मक किरदार निभाए थे. 1971 में उन्होंने 'हम तुम और वो' में प्रमुख भूमिका निभायी. विनोद खन्ना और अमिताभ बच्चन, दोनों ही अपने बॉलीवुड करियर के उफान पर लगभग एक ही समय में थे. विनोद खन्ना अमिताभ बच्चन के कड़े प्रतिद्वंदी माना जाते थे. दोनों सुपरस्टार्स ने 'मुकद्दर का सिकंदर', 'परवरिश', 'अमर अखबर एंथॉनी' जैसी फिल्मों में साथ में काम किया था.
1987 से 1994 में विनोद खन्ना बॉलीवुड के सबसे मंहगे सितारों में से एक थे. अपने करियर की पीक पर होने के बावजूद विनोद खन्ना ने फिल्म इंडस्ट्री से सन्यास ले लिया और ओशो के अनुयायी बन गए. वह अक्सर पुणे में ओशो के आश्रम जाते थे और इस हद ओशो से प्रभावित थे कि अपने कई शूटिंग शेड्यूल भी पुणे में ही रखवाए. कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विनोद संन्यास लेकर अमेरिका चले गए और ओशो के साथ करीब 5 साल गुजारे.
विनोद खन्ना ने अपने चार दशक लंबे सिने करियर में लगभग 150 फिल्मों में अभिनय किया. उनके निभाए हर किरदार सिनेमा प्रेमियों के दिलों में ज़िंदा हैं.
70 और 80 के दशक के सुपरस्टार रहे विनोद खन्ना, वह सितारे थे जिन्होंने एक विलेन के तौर पर अपनी शुरुआत की. उन्होंने 1968 में सुनील दत्त के साथ फिल्म 'मन का मीत' से अपनी फिल्मी सफर की शुरुआत की थी. उन्होंने 'पूरब और पश्चिम', 'मेरा गांव मेरा देश' जैसी कई फिल्मों में नकारात्मक किरदार निभाए थे. 1971 में उन्होंने 'हम तुम और वो' में प्रमुख भूमिका निभायी. विनोद खन्ना और अमिताभ बच्चन, दोनों ही अपने बॉलीवुड करियर के उफान पर लगभग एक ही समय में थे. विनोद खन्ना अमिताभ बच्चन के कड़े प्रतिद्वंदी माना जाते थे. दोनों सुपरस्टार्स ने 'मुकद्दर का सिकंदर', 'परवरिश', 'अमर अखबर एंथॉनी' जैसी फिल्मों में साथ में काम किया था.
1987 से 1994 में विनोद खन्ना बॉलीवुड के सबसे मंहगे सितारों में से एक थे. अपने करियर की पीक पर होने के बावजूद विनोद खन्ना ने फिल्म इंडस्ट्री से सन्यास ले लिया और ओशो के अनुयायी बन गए. वह अक्सर पुणे में ओशो के आश्रम जाते थे और इस हद ओशो से प्रभावित थे कि अपने कई शूटिंग शेड्यूल भी पुणे में ही रखवाए. कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विनोद संन्यास लेकर अमेरिका चले गए और ओशो के साथ करीब 5 साल गुजारे.
विनोद खन्ना ने अपने चार दशक लंबे सिने करियर में लगभग 150 फिल्मों में अभिनय किया. उनके निभाए हर किरदार सिनेमा प्रेमियों के दिलों में ज़िंदा हैं.
हर दिल अज़ीज और अपनी ज़िंदादिली के लिए मशहूर विनोद खन्ना जी को हमारी हार्दिक श्रद्धांजलि और शत शत नमन |
नमन
जवाब देंहटाएंशहगल जी और खन्ना जी को नमन
जवाब देंहटाएंअच्छा लेखन.
स्वागत है गम कहाँ जाने वाले थे रायगाँ मेरे (ग़जल 3)