आज १७ मार्च है ... आज का दिन जुड़ा हुआ है भारत के दो नायाब नगीनों से ... एक हैं ... भारतीय बॉडी बिल्डिंग जगत में 'फादर ऑफ इंडियन बॉडी बिल्डिंग' के नाम से पहचाने जाने वाले स्वतंत्र भारत के पहले मिस्टर यूनिवर्स ख़िताब के विजेता मनोहर आइच और दूसरी हैं ... कल्पना चावला , पहली महिला भारतीय अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री और अंतरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ |
फादर ऑफ इंडियन बॉडी बिल्डिंग कहे जाने वाले मनोहर 1952 में मिस्टर यूनिवर्स बने थे। छोटे कद (4 फीट 11 इंच) के कारण उन्हें ‘पॉकेट हर्क्युलिस’ भी कहा जाता था । इन्होंने एशियन गेम्स में तीन बार गोल्ड मेडल (1951, 1954 और 1958) भी जीता था|
५ जून २०१६ को १०२ वर्ष की आयु मे इन का देहांत हो गया |
इन के बारे के और अधिक जानने के लिए यहाँ पढ़ें
आज इन दोनों की ही जयंती है | आइये थोड़ा जानते हैं इन दोनों ही के बारे में ...
भारतीय बॉडी बिल्डिंग जगत में 'फादर ऑफ इंडियन बॉडी बिल्डिंग' के नाम से पहचाने जाने वाले स्वतंत्र भारत के पहले मिस्टर यूनिवर्स ख़िताब के विजेता मनोहर आइच का जन्म 17 मार्च 1913 को कोमिली जिले के धमती गांव में जन्म हुआ। यह गांव अब बांग्लादेश में है।
बचपन से ही रेसलिंग और वेट लिफ्टिंग जैसे खेलों में रुचि रखने वाले मनोहर को 12 साल की उम्र में बीमारी ने घेर लिया और उनकी सेहत काफी खराब हो गई। सेहत वापस पाने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत और एक्सरसाइज की। तभी उन्होंने बॉडी बिल्डिंग एक्सरसाइज (जैसे पुश अप्स, सिट अप्स) करनी शुरू की।
फादर ऑफ इंडियन बॉडी बिल्डिंग कहे जाने वाले मनोहर 1952 में मिस्टर यूनिवर्स बने थे। छोटे कद (4 फीट 11 इंच) के कारण उन्हें ‘पॉकेट हर्क्युलिस’ भी कहा जाता था । इन्होंने एशियन गेम्स में तीन बार गोल्ड मेडल (1951, 1954 और 1958) भी जीता था|
५ जून २०१६ को १०२ वर्ष की आयु मे इन का देहांत हो गया |
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कल्पना चावला (पंजाबी: ਕਲਪਨਾ ਚਾਵਲਾ) (१७ मार्च , १९६२ - १ फ़रवरी २००३), एक भारतीय अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री और अंतरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ थी। वे १ फ़रवरी २००३ को हुए कोलंबिया अन्तरिक्ष यान आपदा में मारे गए सात यात्री दल सदस्यों में से एक थीं।
उनका जन्म १ जुलाई सन् १९६१ मे एक भारतीय परिवार मे हुआ था। उन के पिता का नाम श्री बनारसी लाल चावला तथा और माता का नाम संजयोती था | वह अपने परिवार के चार भाई बहनो मे सबसे छोटी थी | कल्पना की प्रारंभिक पढाई लिखाई “टैगोर बाल निकेतन” मे हुई | कलपना जब आठवी कक्षा मे पहुची तो उसने इंजिनयर बनने की इच्छा प्रकट की | उसकी माँ ने अपनी बेटी की भावनाओ को समझा और आगे बढने मे मदद की | पिता उसे चिकित्सक या शिक्षिका बनाना चाहते थे । किंतु कल्पना बचपन से ही अंतरिक्ष में घूमने की कल्पना करती थी ।कल्पना का सर्वाधिक महत्वपूर्ण गुण था - उसकी लगन और जुझार प्रवृति | कलपना न तो काम करने मे आलसी थी और न असफलता मे घबराने वाली थी | उनकी उड़ान में दिलचस्पी जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटा, से प्रेरित थी जो एक अग्रणी भारतीय विमान चालक और उद्योगपति थे।
भारत के इन दो नायाब नगीनों की जयंती के दिन हम सब उन्हें शत शत नमन करते हैं |
ये जानकारी आज किसी भी न्यूज़ में नही थी, आपने जानकारी दी तो अच्छा लगा ...
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