आज ८ फरवरी है ... आज ग़ज़ल सम्राट स्व॰ जगजीत सिंह साहब की ७६ वीं जयंती है ... जगजीत सिंह जी किसी परिचय के मोहताज नहीं ... गुलजार साहब उनके बारे मे कुछ यूं बयां करते है ...
एक बौछार था वो -
एक बौछार था वो शख्स
बिना बरसे
किसी अब्र की सहमी सी नमी से
जो भिगो देता था
एक बौछार ही था वो
जो कभी धूप की अफ़शां भर के दूर तक
सुनते हुए चेहरों पे छिड़क देता था...
नीम तारीक से हॉल में आँखें चमक उठती थीं
सिर हिलाता था कभी झूम के टहनी की तरह
लगता था झोंका हवा का है
कोई छेड़ गया है..
गुनगुनाता था तो खुलते हुए बादल की तरह
मुस्कुराहट में कई तर्बों की झनकार छुपी थी
गली क़ासिम से चली एक ग़ज़ल की झनाकर था वो
एक अवाज़ की बौछार था वो
एक बौछार था वो शख्स
बिना बरसे
किसी अब्र की सहमी सी नमी से
जो भिगो देता था
एक बौछार ही था वो
जो कभी धूप की अफ़शां भर के दूर तक
सुनते हुए चेहरों पे छिड़क देता था...
नीम तारीक से हॉल में आँखें चमक उठती थीं
सिर हिलाता था कभी झूम के टहनी की तरह
लगता था झोंका हवा का है
कोई छेड़ गया है..
गुनगुनाता था तो खुलते हुए बादल की तरह
मुस्कुराहट में कई तर्बों की झनकार छुपी थी
गली क़ासिम से चली एक ग़ज़ल की झनाकर था वो
एक अवाज़ की बौछार था वो
ग़ज़ल सम्राट स्व ॰ जगजीत सिंह साहब को शत शत नमन !
नमन। जगजीत सिंह जिन्दा हैं अपनी ग़जलों में ।
जवाब देंहटाएंशत् शत् नमन् आवाज़ के जादूगर को।
जवाब देंहटाएंग़ज़ल -सम्राट स्वर्गीय जगजीत सिंह की यादें ताज़ा करती एक भावुक प्रस्तुति. बधाई.
जवाब देंहटाएं