खामोश है जो यह वो सदा है, वो जो नहीं है वो कह रहा है ,
साथी यु तुम को मिले जीत ही जीत सदा |
बस इतना याद रहे ........ एक साथी और भी था ||
जाओ जो लौट के तुम, घर हो खुशी से भरा,
बस इतना याद रहे ........ एक साथी और भी था ||
कल पर्वतो पे कही बरसी थी जब गोलियां ,
हम लोग थे साथ में और हौसले थे जवां |
अब तक चट्टानों पे है अपने लहू के निशां ,
साथी मुबारक तुम्हे यह जश्न हो जीत का ,
बस इतना याद रहे ........ एक साथी और भी था ||
कल तुम से बिछडी हुयी ममता जो फ़िर से मिले ,
कल फूल चहेरा कोई जब मिल के तुम से खिले ,
पाओ तुम इतनी खुशी , मिट जाए सारे गिले,
है प्यार जिन से तुम्हे , साथ रहे वो सदा ,
बस इतना याद रहे ........ एक साथी और भी था ||
जब अमन की बासुरी गूजे गगन के तले,
जब दोस्ती का दिया इन सरहद पे जले ,
जब भूल के दुश्मनी लग जाए कोई गले ,
जब सारे इंसानों का एक ही हो काफिला ,
बस इतना याद रहे ........ एक साथी और भी था ||
बस इतना याद रहे ........ एक साथी और भी था ||
साथी यु तुम को मिले जीत ही जीत सदा |
बस इतना याद रहे ........ एक साथी और भी था ||
जाओ जो लौट के तुम, घर हो खुशी से भरा,
बस इतना याद रहे ........ एक साथी और भी था ||
कल पर्वतो पे कही बरसी थी जब गोलियां ,
हम लोग थे साथ में और हौसले थे जवां |
अब तक चट्टानों पे है अपने लहू के निशां ,
साथी मुबारक तुम्हे यह जश्न हो जीत का ,
बस इतना याद रहे ........ एक साथी और भी था ||
कल तुम से बिछडी हुयी ममता जो फ़िर से मिले ,
कल फूल चहेरा कोई जब मिल के तुम से खिले ,
पाओ तुम इतनी खुशी , मिट जाए सारे गिले,
है प्यार जिन से तुम्हे , साथ रहे वो सदा ,
बस इतना याद रहे ........ एक साथी और भी था ||
जब अमन की बासुरी गूजे गगन के तले,
जब दोस्ती का दिया इन सरहद पे जले ,
जब भूल के दुश्मनी लग जाए कोई गले ,
जब सारे इंसानों का एक ही हो काफिला ,
बस इतना याद रहे ........ एक साथी और भी था ||
बस इतना याद रहे ........ एक साथी और भी था ||
- जावेद अख्तर
सभी मैनपुरी वासीयों की ओर से कारगिल युद्ध के सभी अमर शहीदों को शत शत नमन !
देश के वीरों को शत शत नमन ...
जवाब देंहटाएंआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 'सैनिकों के सम्मान में विजय दिवस - ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
जवाब देंहटाएंवीरों को नमन। बहुत अच्छी रचना
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