वर्तमान
में ई-मेल का जमाना है क्लिक करते ही संदेश एक स्थान से दूसरे तक पहुंच
जाता है किंतु पिछले दशक तक लाल नीले स्ट्रिप बार्डर वाले पत्र की खास
अहमियत थी और एयरमेल सेवा ही सबसे तेज थी। हार्ड कापी को जल्द से जल्द
भेजने का माध्यम आज भी एयरमेल सेवा ही बनी हुई है जिसे शुरू हुए अब एक सौ पाँच साल
हो रहे हैं।
फ्रेंच
पायलट हैनरी पिक्वइट ने पहला एयरमेल लेटरों के पैकेट को इलहाबाद से एयर
लिफ्ट करके नैनी पहुंचाया था। इस पहली एयरमेल फ्लाइट के आयोजकों को
भलीभांति आभास हो गया था कि वह एक इतिहास बनाने जा रहे हैं, इसी लिये इस
लोक उपयोगी सेवा की शुरूआत को एक अन्य चेरिटी के काम से जोड़ते हुए शुरू
किया। 18 फरवरी 1911 को हुई इस पहली फ्लाइट से भेजे गये पत्रो से हुई आय को
बैंगलूर के ट्रिनिटी चर्च के एक हॉस्टल निर्माण के लिये दान कर दिया गया।
राइट्स बंधुओं के द्वारा पहली पावर फ्लाइट की कामयाबी के बाद महज सात साल
बाद हुई इस ऐतिहासिक उडान में 6500 पत्र ले जाये गये थे जिनमें पं.
मोतीलाल नेहरू द्वारा अपने पुत्र जवाहर लाल नेहरू को लिखे चर्चित खत के
अलावा किंग जार्ज पंचम और नीदरलैंड की महारानी के नाम लिखे गये खत भी शामिल
थे।
हैनरी पर भी जारी हुआ था डाक टिकट
सन 2011 मे विश्व
की पहली एयरमेल सेवा के लिए इस्तेमाल होने वाले वायुयान को चलाने वाले
फ्रेंच पाइलट हैनरी पिक्वट पर भी उनकी यादगार शुरूआत में साहसिक योगदान के
लिए फ्रांस में एक स्पेशल पोस्टल स्टाप भी जारी किया गया था|
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विरोध के लिए विरोध की राजनीति - ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
जवाब देंहटाएं