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बुधवार, 4 नवंबर 2015

'ह्यूमन कंप्यूटर' की ८६ वीं जयंती

अपनी अद्भूत गणितीय क्षमता व ज्योतिष ज्ञान की बदौलत पूरी दुनिया में चर्चित भारतीय गणितज्ञ शकुंतला देवी की आज ८४ वीं जयंती है | कुछ ही पलों में बड़ी से बड़ी संख्यात्मक गणना कर देने के विलक्षण गुण के कारण उन्हें 'ह्यूमन कंप्यूटर' के नाम से जाना जाता था।
शकुन्तला देवी एक अजूबी गणतज्ञा थीं। आप का जन्म ४ नवम्बर १९२९ में बेंग्लूर,भारत में हुआ था। उनके पिता सर्कस मे काम करते थे। उनमे जन्म से ही गणना करने में पारंगत हासिल थी। वह ३ वर्ष की आयु से ही पत्तों का खेल अपने पिता के साथ खेलतीं थी। छ: वर्ष कि आयु मे उन्होंने अपनी गणना करने कि व स्मरण शक्ति का प्रदर्शन मैसूर विश्व्विद्दालय में किया था , जो कि उन्होने अन्नामलाइ विश्व्वविद्दालय मे आठ वर्ष की  आयु में दोहराया था। उन्होने १०१ अंको वाली संख्या का २३वाँ मूल २३ सेकेण्ड मे ज्ञात कर लिया था। उन्होने 13 अंको वाली 2 संख्याओ का गुणनफल जल्दी बता दिया था |
वह 15 साल की उम्र में पिता के साथ लंदन चली गई थीं और पिछली सदी के छठे दशक में भारत लौटीं थीं।
संगणक से तेज़ गणना करने के लिये शकुन्तला देवी का नाम ग़िनीज़ बुक ऑफ़ व्ह्रल्ड रिकॉर्डस में भी दर्ज है। 
 
'ह्यूमन कंप्यूटर' के नाम से प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ शकुंतला देवी के जन्मदिन के मौके पर गूगल ने सन २०१३ एक डूडल लगाया था । 
 
 
1977 में शकुंतला देवी अमेरिका गईं। यहां डलास की एक यूनिवर्सिटी में उनका मुकाबला तब के एक कंप्यूटर 'यूनीवैक' से हुआ। उन्हें 201 अंकों की एक संख्या का 23वां मूल निकालना था। यह सवाल हल करने में उन्हें 50 सेकंड लगे, जबकि 'यूनीवैक' ने इस काम के लिए 62 सेकंड का वक्त लिया। इस घटना के बाद वह पूरी दुनिया में छा गईं। अपनी प्रतिभा साबित करने के लिए उन्हें 1980 में दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित लंदन के इंपीरियल कॉलेज ने बुलाया। यहां भी शकुंतला देवी का मुकाबला एक कंप्यूटर से था। उनको 13 अंकों की दो संख्याओं का गुणनफल निकालने का काम दिया गया और यहां भी वह कंप्यूटर से तेज साबित हुईं। उनकी इस उपलब्धि को गिनेस बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड के 1982 एडिशन में जगह दी गई।
 
21 अप्रैल, 2013 को शकुंतला देवी के निधन से भारत ने अपना एक और जीनियस खो दिया ! 
 
आज चर्चित भारतीय गणितज्ञ स्व॰ शकुंतला देवी जी की ८६ वीं जयंती के अवसर पर हम सब उनको शत शत नमन करते है |

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