अरुणा शानबाग ... हम मे से बहुतों ने आज पहली बार इस नाम और इस नाम से जुड़ी शख़्सियत के बारे मे जाना है | पर अफ़सोस कि इस जान पहचान के पीछे कोई भी सुखद कारण नहीं था |
आज की खबरों की सुर्खियों मे जगह बनाने वाली अरुणा शानबाग का आज निधन हो गया ... पिछले
42 वर्षों से कोमा में रहने के बाद अरुणा को अंतत: मौत नसीब हुई| अरुणा का
निधन आज सुबह लगभग 10 बजे केईएम अस्पताल में हुआ, वह 67 वर्ष की थीं| वह
पिछले 42 वर्षों से इसी अस्पताल में जिंदगी से जूझ रहीं थीं| पिछले दिनों
उन्हें निमोनिया हो गया था और फेफड़े में भी संक्रमण था और वह जीवनरक्षक प्रणाली पर थीं |
कौन थीं अरुणा शानबाग !?
अरुणा शानबाग केईएम अस्पताल मुंबई में काम
करने वाली एक नर्स थीं ... जिनके साथ 27 नवंबर 1973 में अस्पताल के ही एक
वार्ड ब्वॉय ने यौन अपराध किया था| उस वार्ड ब्वॉय ने यौन शोषण के दौरान
अरुणा के गले में एक जंजीर बांध दी थी ... उसी जंजीर के दबाव से अरुणा उस घटना
के बाद कोमा में चली गयीं और फिर कभी सामान्य नहीं हो सकीं| उस घटना के
बाद पिछले 42 वर्षों से अरुणा शानबाग कोमा में थीं ... अरुणा की स्थिति को
देखते हुए उनके लिए इच्छा मृत्यु की मांग करते हुए एक याचिका भी दायर की
गयी थी, लेकिन कोर्ट ने इच्छामृत्यु की मांग को ठुकरा दिया था| अरुणा की
जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने वाले दरिंदे का नाम सोहनलाल था, जिसे कोर्ट ने
सजा तो दी, लेकिन वह अरुणा के साथ किये गये अपराध के मुकाबले काफी कम थी|
अरुणा को नहीं मिला था न्याय !!
अरुणा के साथ जब सोहनलाल ने दरिंदगी की, उसके पहले अरुणा शादी का निश्चय कर चुकी थी और जल्दी ही उनकी शादी होने वाली थी, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था| सोहनलाल अरुणा की जिंदगी में काल बनकर आया और सबकुछ तहस-नहस कर गया, लेकिन अरुणा के साथ हुए यौन शोषण के मामले को कुछ और ही रूप दिया गया था ... अस्पताल के डीन डॉक्टर देशपांडे ने डकैती और लूटपाट का केस दर्ज कराया, अरुणा की बदनामी ना हो, इसलिए यौन शोषण के केस को दबाया गया, जिसके कारण सोहनलाल को सिर्फ सात साल की सजा हुई और उसके बाद वह आजाद हो गया, जबकि अरुणा शानबाग 42 वर्षों तक उसके कुकर्म की सजा भोगती रही | हमारी न्याय व्यवस्था और समाज के लिए यह एक बहुत बड़ा कलंक है| विडंबना यह कि अपराधी तो 7 साल की सज़ा के बाद बरी हो गया पर पीड़िता उस सज़ा से 6 गुना लंबी सज़ा भुगतती रही|
मजबूत इरादों वाली अरुणा शानबाग जी को हम सब की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि |
एक और कारण
जवाब देंहटाएंशर्म करने का
पर किसे करनी है
किसे पता ?
श्रद्धाँजलि अरूणा ।
मार्मिक ..आखिर कब तक ?????? क्या कभी अंत होगा
जवाब देंहटाएंनिर्ममता की हद होती है। शर्म से सर झुक जाता है ऐसे हादसों के बारे में जानकर। और हमारे देश के कानून के बारे में तो कुछ कहने से चुप्पी ही भली है ,
जवाब देंहटाएं42 वर्षों की कैद से मिली मुक्ति ,कितनी कठिन तपस्या की है अरुणा जी ने।
मेरी नम श्रद्धांजलि।