पूरे दिन में हमारे साथ जो जो होता है उसका ही एक लेखा जोखा " बुरा भला " के नाम से आप सब के सामने लाने का प्रयास किया है | यह जरूरी नहीं जो हमारे साथ होता है वह सब " बुरा " हो, साथ साथ यह भी एक परम सत्य है कि सब " भला " भी नहीं होता | इस ब्लॉग में हमारी कोशिश यह होगी कि दिन भर के घटनाक्रम में से हम " बुरा " और " भला " छांट कर यहाँ पेश करे |
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शुक्रवार, 8 मई 2009
चार दिन की चांदनी , फ़िर अंधेरी रात |
चार दिन की चांदनी , फ़िर अंधेरी रात | यह कहावत मैनपुरी वासियों को एकदम समझ आ गई है| जितने दिन चुनावी सरगर्मिया रही उतने दिन मैनपुरी वासी भी राजा रहे अब फ़िर वोही मैनपुरी और वोही हम और वोही हमारी समस्याए | एक बहु आपेक्षित झटका आज तब लगा जब सुबह दस बज गए और बत्ती नहीं आई पता करने पर मालूम हुआ कटौती का समय फ़िर बदल गया है - सुबह ६ बजे से ११ बजे तक और रात ९ बजे से १ बजे तक | १ मई की ही बात है आने वाले मतदान को ध्यान में रखते हुए कटौती का समय बदला गया था सुबह ५ से १० और शाम को ४ से ६ | हर कोई बहुत खुश था की चलो इस गर्मी में कुछ तो राहत मीलेगी पर हर कोई यह सोच कर भी डरता था की कही यह वोही चार दिन की चांदनी तो नहीं ??? आज उन सब सवालों को अपना उतर मिल गया है | मतदान ख़तम हुए अभी २४ घटे भी नहीं हुए है और मतदाता फ़िर ठगा गया है | हो सकता है यह केवल पहेला ही झटका हो,हो सकता है आगे आने वाला समय और भी झटको से भरा हो !!!
हो न हो हर एक नेता के मन में,चाहे वोह किसी भी दल का क्यों न हो , आज यह चिंता जरूर होगी की जब कुछ ही घंटो में हमारे वादे दम तोड़ने लगते है तो इन वादों को ५ साल कैसे जिंदा रखा जाए, क्या किया जाए अबकी बार तो मतदाता वोट कर गया अगली बार ..................???
कोई बात नहीं नेताजी ,हम तो जनता है ,हम सब जानते है आज कल जब आदमी के सालो जिंदा रहेने की कोई गर्रेंटी नहीं है वहां आपके वादों की कौन गर्रेंटी लेगा ????
हम सब जानते है हमारे साथ क्या होता आया है ,क्या हो रहा है और क्या हो सकता है ? फ़िर भी हम सब मतदान करते है सिर्फ़ इस उम्मीद से की शायद आप सुधर गए हो शायद आपके वादों में दम आ गया हो शायद अब आप हमे सिर्फ़ वोट बैंक की तरह न देखते हो शायद आपकी नज़रो अब हम भी इंसान हो !!!!!!!!
जहाँ हमने इतने साल गुजार देये वहां यह ५ साल भी निकल ही जायेगे पर सिर्फ़ एक बार , सिर्फ़ एक बार सोचना यह मोके शायद हम आपको अगली बार न दे पायेगे |
इस बात की शर्त रही जिस दिन यह ख्याल आपके मन में आएगा की मतदाता हमे ठेगा दिखायेगा, आप ख़ुद-बा-ख़ुद समझ जाओगे की क्या किया जाए और कैसे किया जाए? यह तो आप कों भी पता चला ही होगा की अब की बार ही मैनपुरी में बहुत सी जगह मतदातायो ने चुनाव का बहिष्कार किया है और मतदान नहीं किया है | क्या होगा अगर हर मतदाता येही रुख कायम करले ????
ज़रा सोचना इस बारे में !!
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