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रविवार, 22 अक्तूबर 2017

अमर शहीद अशफाक उल्ला खाँ की ११७ वीं जयंती

“ जाऊँगा खाली हाथ मगर,यह दर्द साथ ही जायेगा;जाने किस दिन हिन्दोस्तान,आजाद वतन कहलायेगा।

बिस्मिल हिन्दू हैं कहते हैं, फिर आऊँगा-फिर आऊँगा; ले नया जन्म ऐ भारत माँ! तुझको आजाद कराऊँगा।।
जी करता है मैं भी कह दूँ, पर मजहब से बँध जाता हूँ; मैं मुसलमान हूँ पुनर्जन्म की बात नहीं कह पाता हूँ।
 
हाँ, खुदा अगर मिल गया कहीं, अपनी झोली फैला दूँगा; औ' जन्नत के बदले उससे, यक नया जन्म ही माँगूँगा।। ”

 
अमर शहीद अशफाक उल्ला खाँ जी को उनकी ११७ वीं जयंती पर सादर शत शत नमन !

इंकलाब ज़िंदाबाद !

3 टिप्‍पणियां:

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