बॉलीवुड के काले दिन अभी भी दूर नहीं हुए है लगता है ... आज बॉलीवुड एक और झटका लगा जब बॉलीवुड को कई यादगार धुनें देने वाले दिग्गज संगीतकार रवि शंकर शर्मा का बुधवार को मुंबई में निधन हो गया। संगीत की दुनिया में वह रवि के नाम से चर्चित थे। 85 वर्षीय रवि लंबे समय से बीमार थे। 'चौदहवीं का चांद', 'हमराज', 'वक्त', 'नीलकमल', 'दो बदन', 'आंखें' और 'निकाह' की सफलता में रवि के बेहतरीन संगीत ने चार चांद लगाए।
हिंदुस्तान में शायद ही कोई शादी होगी जिसमें रवि के संगीत से सजा गीत 'आज मेरे यार की शादी है..' न बजाया गया हो। उन्होंने 'बाबुल की दुआएं लेती जा..' और 'डोली चढ़ के दुल्हन ससुराल चली..' जैसे भावुक विदाई गीत भी दिए। रवि की गिनती हिंदी फिल्मोद्योग के नैसर्गिक संगीतकारों में होती है। उन्होंने कभी संगीत की कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली थी।
3 मार्च, 1926 को दिल्ली में जन्मे रवि 1950 में किस्मत आजमाने मायानगरी पहुंच गए थे। 1952 में फिल्म 'आनंद मठ' में उन्हें पहला ब्रेक मिला। जल्द ही उन्होंने बॉलीवुड के उम्दा संगीतकारों के बीच अपनी जगह बना ली। 1961 में 'खानदान' के संगीत के लिए उन्होंने प्रतिष्ठित फिल्म फेयर पुरस्कार जीता।
लीजिये पेश है उनके ही संगीत से सजा हुआ यह गीत ... फिल्म 'निकाह' से ... 'अभी अलविदा मत कहो दोस्तों' ..
मैनपुरी के सभी सिने प्रेमियों की ओर से रवि साहब को शत शत नमन और विनम्र श्रद्धांजलि !
दिवंगत को नमन..
जवाब देंहटाएंरवि साहब को नमन , सादर श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंसादर श्रद्धांजलि ...
जवाब देंहटाएंबहुत बड़ा घाटा है! बेहद शानदार गीत दिये रवि ने..
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट संगीतकार रवि जी का इस तरह से जाना संगीत जगत में एक अपूरणीय क्षति को पैदा कर गया है ! उनके प्रति विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित है !
जवाब देंहटाएंसादर श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंसंगीत के इस महान कलाकार को हमारी विनम्र श्रधांजलि है ...
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