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सोमवार, 14 नवंबर 2011

बाल दिवस के २ अलग अलग रूप

आज बाल दिवस है ... पर इतने सालों के बाद भी पूरे देश में ... यह सामान रूप से नहीं मनाया जाता ... २ चित्र दिखता हूँ आपको ... अपनी बात सिद्ध करने के लिए ...

भोपाल में रविवार, 13 नवंबर को बाल दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रम में नन्हे बच्चों ने चाचा नेहरू को पुष्प अर्पित किए।
झारखंड के पश्चिम सिंहभूम के चक्रधरपुर में बाल दिवस की पूर्व संध्या पर ताश के 52 पत्तों में अपना भविष्य तलाशते बच्चे। 

    
साफ़ साफ़ समझ में आता है कि इस में किसकी गलती है ... एक जगह सारे तामझाम किये जाते है इस सालाना दिखावे के लिए वही दूसरी किसको भी इतनी फुर्सत नहीं है कि थोडा सा दिखावा ही कर जाता इन बच्चो के सामने ...

13 टिप्‍पणियां:

  1. किसी ने ठीक ही कहा है...
    महत्वपूर्ण यह नहीं कि हमें विरासत में क्या मिला है विचारणीय यह है कि हम विरासत में क्या दे कर जा रहे हैं

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  2. बहुत ही दुःख और अफ़सोस होता है ये सब देखकर जहाँ हमारे देश के एक राज्य में बाल दिवस धूम धाम से मनाया जाता है और एक राज्य में बच्चे बिल्कुल अंजान हैं और इस उम्र में ताश खेलते हुए नज़र आ रहे हैं! क्या यही है बच्चों का भविष्यत?

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  3. बस एक दिन मना लिया बाल दिवस और हो गयी कर्तव्य की इतिश्री!!!!

    Gyan Darpan
    .

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  4. अफ़सोस!!पदम सिंह जी की बात को आगे बढाते हुए...
    हमने एक स्वर्णिम विरासत पाई है, मगर उसे बनाए रखने की योग्यता नहीं...!

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  5. देश के विकास की त्रासदी.काशः,देश के कर्णधार यह सब देख पाते.

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  6. sach me bahut hi dukhad ghatana hai..
    in baccho ke vikas ke liye bhi sarkar kokoi kadam uthana chahiye..

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  7. धरोहर के साथ खिलवाड़ करने का खामियाजा आने वाली पीढ़ियों को भी भुगतना होता है।

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  8. हम सभी उत्सव एक ही दिन मनाने के आदी हो गौए हैं\ मातृ दिवस पितृ दिवस या फिर कोई भी त्यौहार आदि। शुभकामनायें। कृ्षण और सुदामा --- ये अन्तर तो हर युग मे रहा है और शायद रहेगा भी। आखिर सरकारें कैसे चलेंगी चाहे कोई भी पार्टे4ए आ जाये ये दशा नही बदलेगी। शुभकामनायें\

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  9. एक दिन वैसे तो याद दिलाने के लिए होता है पूरे साल काम करने क लिए पर अब यह एक दिन ही काम करने के लिए बन कर रह गया गई ...

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  10. आपके पोस्ट पर आकर अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट भोजपुरी भाषा का शेक्शपीयर- भिखारी ठाकुर पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद

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