अमृता शेरगिल (३० जनवरी १९१३ - ५ दिसंबर १९४१) |
अमृता शेरगिल (३० जनवरी १९१३ - ५ दिसंबर १९४१) भारत के प्रसिद्ध चित्रकारों में से एक थीं। उनका जन्म बुडापेस्ट (हंगरी) में हुआ था। कला, संगीत व अभिनय बचपन से ही उनके साथी बन गए। २०वीं सदी की इस प्रतिभावान कलाकार को भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण
ने १९७६ और १९७९ में भारत के नौ सर्वश्रेष्ठ कलाकारों में शामिल किया है।
सिख पिता उमराव सिंह शेरगिल (संस्कृत-फारसी के विद्वान व नौकरशाह) और हंगरी
मूल की यहूदी ओपेरा गायिका मां मेरी एंटोनी गोट्समन की यह संतान ८ वर्ष की
आयु में पियानो-वायलिन बजाने के साथ-साथ कैनवस पर भी हाथ आजमाने लगी थी।
१९२१ में अमृता का परिवार समर हिल शिमला में आ बसा। बाद में अमृता की मां उन्हें लेकर इटली चली गई व फ्लोरेंस के सांता अनुंज़ियाता आर्ट स्कूल में उनका दाखिला करा दिया। पहले उन्होंने ग्रैंड चाऊमीअर में
पीअरे वेलण्ट के और इकोल डेस बीउक्स-आर्टस में ल्यूसियन सायमन के
मार्गदर्शन में अभ्यास किया। सन १९३४ के अंत में वह भारत लौटी। बाईस साल से
भी कम उम्र में वह तकनीकी तौर पर चित्रकार बन चुकी थी और असामान्य
प्रतिभाशाली कलाकार के लिए आवश्यक सारे गुण उनमें आ चुके थे।
पूरी तरह भारतीय न होने के बावजूद वह भारतीय संस्कृति को जानने के लिए
बड़ी उत्सुक थी। उनकी प्रारंभिक कलाकृतियों में पेरिस के कुछ कलाकारों का
पाश्चात्य प्रभाव प्रभाव साफ झलकता है। जल्दी ही वे भारत लौटीं और अपनी
मृत्यु तक भारतीय कला परंपरा की पुन: खोज में जुटी रहीं। उन्हें मुगल व
पहाडी कला सहित अजंता की विश्वविख्यात कला ने भी प्रेरित-प्रभावित किया।
भले ही उनकी शिक्षा पेरिस में हुई पर अंततः उनकी तूलिका भारतीय रंग में ही
रंगी गई। उनमें छिपी भारतीयता का जीवंत रंग हैं उनके चित्र।
अमृता ने अपने हंगेरियन चचेरे भाई से १९३८ में विवाह किया, फिर वे अपने
पुश्तैनी घर गोरखपुर में आ बसीं। १९४१ में अमृता अपने पति के साथ लाहौर
चली गई, वहाँ उनकी पहली बडी एकल प्रदर्शनी होनी थी, किंतु एकाएक वह गंभीर
रूप से बीमार पडीं और मात्र २८ वर्ष की आयु में शून्य में विलीन हो गई।
आज अमृता शेरगिल जी की १०३ वीं जंयती के अवसर पर गूगल ने अपना डूडल उनको समर्पित किया है |
स्व॰ अमृता शेरगिल जी की १०३ वीं जंयती के अवसर पर हम सब उन्हें शत शत नमन करते हैं !!